इस जगह शादियों का होता है ओलंपिक, सूट-बूट नहीं बल्कि नंगे पैरे आते है दूल्हा, पूरा शहर बनता है बाराती

देश में इस समय शादियों का सीजन चल रहा है इस दौरान कई तरह के दिलचस्प और रोचक किस्से देखने को मिलते हैं। आज हम आपको शादी से जुड़ी एक ऐसी खबर दिखाएंगे जिसे देख कर आप भी हैरान रह जाएंगे। दरअसल शादियों में हर समाज की एक अपनी परंपरा होती है। थोड़ी सी दूर चलने पर ही हर समाज की रीति रिवाज अलग हो जाते हैं। आपको हम एक ऐसे समाज की रीती और रिवाज के बारे में बताएंगे जो बहुत ही अलग है जिसे देखकर आप भी दंग रह जाएंगे। हम बात कर रहे हैं राजस्थान के बीकानेर शहर के पुष्करण समाज की इस समाज में शादी का एक अलग ही रिवाज है यहां दूल्हा कपड़े पहन कर नहीं बल्कि नंगे पैर केबल बनियान में दुल्हन लेने जाता है और पूरा शहर बराती बनता है।

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इतने सालों से चली आ रही परंपरा

राजस्थान के बीकानेर शहर के पुष्करण समाज की परंपरा बहुत ही अलग है। जिसके बारे में हम आपको दिखाएंगे यह परंपरा करीब 300 सालों से समाज के लोग निभाते आ रहे हैं। एक रिपोर्ट की माने तो यहां 18 फरवरी से बीकानेर में पुष्करण समाज में सैकड़ों शादियां हुई थी यहां दूल्हा सूट बूट और शेरवानी नहीं बल्कि नंगे पैर और एक बनियान में दुल्हन लेने के लिए जाता है जो बहुत ही रोचक और हैरान करने वाला नजारा होता है।

विष्णु और लक्ष्मी मानते हैं दूल्हा और दुल्हन को

जानकारी के लिए बता दें कि यहां मांगलिक गीत गूंजते हैं बैंड बाजों की ध्वनि पर लोग नाचते गाते चलते हैं। कहा जाता है कि यहां पर समाज की परंपरा में दूल्हे को विष्णु और दुल्हन को माता लक्ष्मी का रूप माना जाता है। इस नजारे को देखने के लिए देश भर से समाज के लोग बीकानेर पहुंचते हैं। यहां महिलाएं मांगलिक रत्न में खेरवाड़ा के साथ ही पापड़ बनाती है इसके साथ ही कुमकुम सेट चित्रकारी सजाती है जो वधू पक्ष की ओर से वर पक्ष के घर पहुंचाया जाता है जिसे वहां वधू पक्ष के लोग पारंपरिक दोहों का गायन कर पापड़ बांचते हैं।

सरकार करती है सहयोग

पुष्करण समाज में शादी की परंपरा तो बहुत अनोखी है, लेकिन एक जरूरी बात हम आपको बता दें कि यहां पर शादियों में सरकार भी सहयोग करती है। यहां एक डेट में शादी फिक्स होती है और जितने भी विवाह योग्य युवक-युवती होते है सब की शादी एक साथ हो जाती है। यहां पर शादी को ओलंपिक का नाम दिया गया है। ऐसा माना जाता है कि एक साथ शादी करने से किसी एक घर में ज्यादा मेहमान नहीं होते हैं और शादी आसानी से हो जाती है इसके साथ ही लड़की और लड़के वालों का खर्च भी कम होता है। वहीं सरकार जो चौक से सबसे पहले बारात लेकर निकलता है उस परिवार को इनाम देती है।

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नहीं होता शादियों में कोई लेन देन

एक खास बात और है कि पुष्करण समाज में यहां गरीब परिवार की शादी भी आसानी से हो जाती है यहां पर कोई भी लेनदेन या दहेज का ऐसा कोई भी रिवाज नहीं है। इतना ही नहीं बड़ी संख्या में गरीब परिवारों को विवाह सामग्री के साथ नगदी भी पहुंचाई जाती है जो सहायता देता है उसका नाम सार्वजनिक नहीं किया जाता है।