इंदौर के इस मंदिर में विराजमान है 300 साल पुरानी मूर्ति, भक्तों को बालस्वरूप में दर्शन देते है भगवान श्री राम

मध्यप्रदेश में कई अलौकिक रहस्यमयी और चमत्कारिक मंदिर है। इन मंदिरों में कई तरह के चमत्कार हुए हैं। आज भी लोगों की आस्था का केंद्र बने हुए हैं। इसी बीच हम आपको देश भर में मनाया जाए रहे श्री रामनवमी के पर्व पर एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो काफी चमत्कारी होने के साथ ही लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। दरअसल यह मंदिर मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर के पश्चिम में पंचकुइयां स्थित श्री राम का मंदिर है। कहते हैं 300 साल पुरानी इस मूर्ति में भगवान राम के बालस्वरूप के दर्शन होते हैं जो ओरछा के मंदिर में प्रतिष्ठित मूर्ति के बाद यह बालस्वरूप में सबसे पुराना मंदिर माना जाता है। इसका दावा खुद मंदिर के प्रमुख महामंडलेश्वर लक्ष्मण दास महाराज ने किया है।

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ऐसे होती है भगवान राम के बालस्वरूप की देखभाल

दरअसल इस मंदिर में भगवान राम के बालस्वरूप की देखभाल संत और विद्वान पुजारी करते हैं। इस मंदिर में हर साल श्री रामनवमी के मौके पर भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव अयोध्या के रामलला मंदिर की तर्ज पर मनाया जाता है ।इस बार भी मंदिर में भगवान श्री राम के जन्म उत्सव पर मंदिर की साज-सज्जा की गई है। वहीं भक्तों की भीड़ सुबह से ही मंदिर में लगी हुई है। यह प्राचीन स्थान दिगंबर अनी अखाड़े के अंतर्गत आता है। श्री रामनवमी के मौके पर पुजारियों के द्वारा गन्ने के रस, आम, बेल, दूध दही से भगवान राम के बाल स्वरूप का अभिषेक किया जाता है।

होलकर काल में 5 तोपों की दी जाती थी सलामी

कहते हैं एक समय जब होलकर का शासन काल था उस दौरान 5 तोपों की सलामी दी जाती थी, लेकिन इस दौर में तोपों की सलामी तो नहीं दी जाती है लेकिन इस मौके पर 11000 दीपक लगाकर रंगारंग आतिशबाजी होती है। वहीं भगवान श्री राम की जन्म आरती शाम को की जाती है। पुजारी जितेंद्र शास्त्री की माने तो प्रतिदिन भगवान श्री राम को मंगला आरती के बाद मिष्ठान और सूखे मेवे का भोग लगाते हैं।

इन्होंने की थी इस मंदिर की स्थापना

महामंडलेश्वर लक्ष्मण दास महाराज की माने तो इस साल रामनवमी पर पुष्प नक्षत्र का मंगलकारी संयोग बन रहा है। बताया जाता है कि इस मंदिर की स्थापना ठाकुर दास गुरु पहलाद दास महाराज ने की थी। इस मंदिर में भगवान श्री राम के साथ ही भगवान श्री कृष्ण की गोवर्धन की मूर्ति विराजमान है। इस मंदिर में पूजन दो प्रकार से की जाती है जिसमें वैदिक रीति से पूजन किया जाता है। 15 एकड़ में खेती और 1 एकड़ में गौशाला है। भगवान को आश्रम में उगाए अनार से तैयार सामग्री का भोग लगाया जाता है। यहां गौशाला में 250 गायी है जिनके दूध से मिठाई बनाई जाती है। वहीं इस मंदिर में हनुमान शिव और टीका महाराज के मंदिर भी है।

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