फास्टैग एक्टिवेट करवाने वाले हो जाये सावधान, भूल भी ना करें ये गलती खाली हो जायेगा आपका अकाउंट

मध्य प्रदेश में इस समय फास्टैग लागू है। अगर कोई भी वाहन टोल सीमा में जाता है तो खाते से सीधे पैसे कट जाते हैं। इसके लिए गाड़ी में लगे फास्टैग स्टीकर स्कैन करता है, लेकिन इसी से जुड़ी एक धोखाधड़ी वाला मामला सामने आया है, जहां एक रिटायर्ड अधिकारी को कार का फास्ट टैग एक्टिवेट करवाना महंगा पड़ गया। दरअसल रिटायर अधिकारी ने ऑनलाइन तरीके से नंबर सर्च किया उस पर उसे कॉल किया, लेकिन किसी ने अटेंड नहीं किया इसके बाद अधिकारी को अलग-अलग नंबरों से तीन बार कॉल आए। इसके बाद रिटायर अधिकारी से आरोपियों ने ओटीपी हासिल कर ली और पत्नी और उनके खाते से करीब डेढ़ लाख रुपए उड़ा ले गए।

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दरअसल पूरा मामला राजधानी भोपाल के शाहपुर इलाके का है, जहां पर एक रिटायर अधिकारी ने कार का फास्टैग एक्टिवेट करवाने के लिए ऑनलाइन नंबर सर्च किया, लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि ऐसा करना उन्हें महंगा पड़ जाएगा। एएसआई रमेश दुबे ने जानकारी देते हुए कहा कि यह सेक्टर शाहपुरा निवासी ओम प्रकाश को जल संसाधन विभाग के रिटायर अधिकारी रहे हैं। उन्होंने 3 जून को अपनी कार का काफी समय बंद पेमेंट करवाने के लिए ऑनलाइन नंबर सर्च किया, लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि यह उन्हें महंगा पड़ सकता है। जब उन्होंने सर्च किए गए नंबर पर कॉल किया तो किसी ने रिसीव नहीं किया है।

5 बार में 2 खाते से उड़ा दिए डेढ़ लाख

इसके बाद रिटायर अधिकारी अलग-अलग तीन फोन आए इसके बाद सामने वाले ने खुद को फास्ट्रेक कंपनी का अधिकारी बताते हुए कहा हम आपका घर बैठे ही फास्टैग चालू कर देंगे, लेकिन इसके लिए आपको कुछ जरूरी जानकारी देना होगी। इसके बाद अलग-अलग तीन नंबरों से कॉल कर उन्हें अपनी बातों में उलझा रखा और ओटीपी समेत विभिन्न जानकारी हासिल कर ली। कुछ देर बाद व्यक्ति ने उनसे कहा थोड़ी देर में आपका फास्टैग एक्टिवेट हो जाएगा। करीब आधे घंटे बाद ओमप्रकाश के खाते में 5 बार में 1 लाख 9 हजार 500 रुपये जबकि पत्नी के खाते से दो बार में 45000 निकाल लिए इसके बाद उन्होंने जब कस्टमर केयर के नंबर पर फिर से कॉल किया तो वहां रिसीव नहीं किया और बंद हो गया था।

इसके बाद पीड़ित ने थाने जाकर इस मामले में शिकायत दर्ज करवाई। पुलिस ने दोनों बैंक खातों को ब्लॉक करवा दिया है और इस मामले की जांच पड़ताल शुरू कर दी है। इस मामले में पुलिस ने शिकायत दर्ज करने के बाद मामले की जांच शुरू कर दी है। अब देखना यह होगा कि इस मामले में पुलिस कब तक धोखाधड़ी करने वाले आरोपियों को गिरफ्तार कर पाती है।

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