मोदी सरकार की बड़ी घोषणा, देश समेत मध्यप्रदेश के इन ऐतिहासिक स्मारकों में नहीं देना होगा टिकट का पैसा, देखें लिस्ट

मध्य प्रदेश में कई धार्मिक स्थल है और ऐतिहासिक स्मारकों में घूमने का सबसे बढ़िया मौका अब लोगों को मिलने वाला है। दरअसल आजादी के अमृत महोत्सव के मौके पर 10 दिन आसानी से बिना किसी टिकट के देश के ऐतिहासिक स्मारकों में घूमने का मौका मिल रहा है। अमृत महोत्सव के तहत 5 से लेकर 15 अगस्त तक किसी भी स्मारक में घूमने के लिए एंट्री फीस नहीं ली जाएगी। इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा आवाहन किया गया है जिस पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने देश भर के 3700 स्मारकों पुरातत्व स्थल और संग्रहालय को बिना टिकट के फ्री में घूमने की घोषणा कर दी है।

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बिना एंट्री फीस के घूमें ये ऐतिहासिक स्मारक

भारत की बात करें तो यहां पर कई धार्मिक स्थलों के साथ ही ऐतिहासिक स्मारक भी है। इसमें घूमने के लिए देश-विदेश के लोग जाते हैं, लेकिन आजादी के अमृत महोत्सव के तहत इन स्मारकों में घूमने के लिए सरकार ने एंट्री फीस मुक्त कर दी है। यानी कि अब 10 दिन तक इन ऐतिहासिक स्मारकों में घूमने के लिए किसी भी तरह की एंट्री फीस नहीं ली जाएगी। इसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है। ऐसे में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने देशभर के 3718 पुरातत्व संग्रहालय को बिना टिकट के मुफ्त में घूमने की घोषणा कर दी है।

इन स्मारकों में फ्री में घूमें पर्यटक

इन ऐतिहासिक स्मारकों में देश के ताजमहल लाल किला के साथ-साथ मध्यप्रदेश के भी कुछ लोकप्रिय स्मारक शामिल है। जिसमें सांची में अशोक स्तंभ, खजुराहो के ब्रह्म और हनुमान मंदिर, होशंग शाह का मकबरा, मानसिंह पैलेस, ग्वालियर किला, इंदौर का राजवाड़ा छत्रीबाग, बाज बहादुर पैलेस, 64 योगिनी मंदिर व अन्य स्थल शामिल है।

ये मॉन्यूमेंट्स भी हो सकते है फ्री

लंबे समय के लिए मॉन्यूमेंट्स फ्री किए जा रहे हैं ।अभी केवल विश्व धरोहर दिवस, विश्व धरोहर सप्ताह, महिला दिवस ,विश्व संग्रहालय दिवस पर मॉन्यूमेंट्स को फ्री कर दिया गया है। एसआई की तर्ज पर ही स्टेट ओक ऑडियोलॉजी अपने मॉन्यूमेंट्स को फ्री करने की घोषणा कर रही है। हालांकि अभी इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन अनुमान यह है कि जल्द ही इसकी घोषणा भी हो सकती है। जिससे मध्यप्रदेश के पुरातत्व में गुजरी महल, जहांगीर महल समेत कई स्मारक आते हैं। ऐसे में इन स्थलों में घूमने के लिए किसी भी तरह की फीस नहीं ली जाएगी।

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एमपी के इन स्मारकों में नहीं लगेगी एंट्री फीस

अब हम आपको मध्य प्रदेश के कुछ ऐसे ऐतिहासिक स्मारकों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर पांच से 15 अगस्त तक किसी भी तरह की एंट्री फीस नहीं ली जाएगी। इन स्मारकों में घूमने के लिए जहां विदेशी पर्यटकों से अधिक शुल्क वसूला जाता था। वहीं देश के लोगों से कुछ कम रुपए लिए जाते थे, लेकिन अब 10 दिनों तक यहां पर घूमने के लिए किसी भी तरह की शुल्क नहीं ली जाएगी।

जिसमें सबसे पहले हम बात कर लेते हैं। सांची स्तूप की जो एक बूंद परिसर है और अपने महान स्तुति के लिए प्रसिद्ध दिए। यह मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के सांची टाउन में एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है, जहां मनुष्य भारत की सबसे पुरानी पत्थर की संरचनाओं में से एक हैं।

खजुराहो का ब्रह्मा और हनुमान मंदिर

दूसरा हम बात कर लेते हैं खजुराहो के ब्राह्म और हनुमान मंदिर इस मंदिर का निर्माण 1922 ईस्वी के आसपास किया गया और यह भगवान ब्रह्मा और हनुमान को समर्पित था। इसकी पूरी सजना ग्रेनाइट और बलुआ पत्थर से निर्मित थी अपनी अद्भुत मूर्तिकला डिजाइन और वास्तुकला की वजह से यह मंदिर पूरे भारत से लाखों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

होशंग शाह का मकबरा

होशंग शाह का मकबरा मांडू से निर्मित संगमरमर का निर्माण था ।इससे पहले की अवधि में भारतीय उपमहाद्वीप क्षेत्र में अफगान संस्कृति का पहला संगमरमर का निर्माण माना जाता है ।इसके अलावा ग्वालियर का किला मध्य प्रदेश के ग्वालियर के पास स्थित पहाड़ी किला है, जहां कम से कम 10 वीं शताब्दी से अस्तित्व में है ।इतिहास में कहीं अलग अलग सास को नियंत्रित किया गया ।वर्तमान में किले के अंदर दो मुख्य महल हैं गुजरी महल और मान मंदिर महल जहां पर घूमने के लिए लोग बड़ी संख्या में पहुंचते हैं।

इंदौर का छत्रीबाग

इंदौर के छत्रीबाग जोकि खान नदी के पास स्थित है। इसमें घूमने के लिए लोगों से एंट्री फीस ली जाती है। यह स्थापत्य शैली के बेहतरीन उदाहरणों में से एक हैं ।कई स्मारकों में सबसे आकर्षक और स्मारक है जो होलकर वंश के संस्थापक मल्हार राव होलकर प्रसन्न के स्मृति में बनाया गया है यहां पर घूमने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं ।

इसके साथ ही इंदौर शहर से लगभग 95 किलोमीटर पश्चिम में स्थित बाज बहादुर पैलेस है, जोकि बाज बहादुर महल राजपूत और मुगल वास्तुकला पर शैली का मिश्रण है महल का नाम शासक बाज बहादुर के नाम पर रखा गया जो संगीत और कला के शौकीन थे।

इंदौर का राजवाड़ा

इसी तरह बात करते हैं हम इंदौर में स्थित राजवाड़ा के ऐतिहासिक महल की यह महल 2 शताब्दी पहले मराठा साम्राज्य के होलकरो ने बनवाया था। सात मंजिला महल क्षत्रियों के पास स्थित है और राजवाड़ा महल शाही भव्यता और स्थापत्य कौशल का एक बेहतरीन उदाहरण माना जाता है। यहां पर घूमने के लिए दूरदराज से लोग पहुंचते हैं।

चौसठ योगिनी मंदिर के बारे में भला कौन नहीं जानता है यह मंदिर विरासतो में से एक है। यहां चौसठ योगिनियों के साथ देवी दुर्गा को समर्पित है ।यह मंदिर का निर्माण 10 वीं शताब्दी ईस्वी में कलचुरी साम्राज्य द्वारा किया गया था। इस मंदिर में बड़ी संख्या में घूमने के लिए लोग पहुंचते हैं।