MPPSC के उम्मीदवारों को मिली बड़ी राहत, इस मामले में कोर्ट ने सुनाया ये फैसला

मध्यप्रदेश में 2020 में आयोजित हुई एमपीपीएससी की परीक्षा के प्रश्न पत्र के विवाद मामले में हाईकोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया है। इस मामले में कोर्ट ने फैसला करीब-करीब उम्मीदवारों के पाले में सुनाया है, क्योंकि केंद्र और राज्य के आंकड़े अलग-अलग पाए गए थे जिस पर दोनों में से किसी भी विकल्प को चुनने वाले उम्मीदवारों को नंबर देने की बात कही गई है। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस प्रश्न का अंग दिए जाने के बाद पात्र उम्मीदवारों की परीक्षा आयोजित कराने के साथ एडमिट जारी किए जाएं।

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कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए लिया ये निर्णय

दरअसल शुक्रवार को जबलपुर हाईकोर्ट ने एमपीपीएससी कि 2020 में आयोजित हुई परीक्षा के प्रश्न पत्र पर विवाद मामले में फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट के जज विवेक अग्रवाल की एकल पीठ ने आदेश में कहा कि अंक मिलने के बाद यदि कोई उम्मीदवार मुख्य परीक्षा के लिए पात्र होते हैं तो उनका एडमिट कार्ड या एंट्री पास जारी कर दिया जाए।

वहीं अगर एमपीपीएससी चाहे तो उम्मीदवारों कि फिर से परीक्षा आयोजित करवा सकती है। इसके साथ ही रजिस्टर न्यायिक को निर्देश दिए कि आदेश की एक प्रति तत्काल प्रभाव से पीएससी को ईमेल के माध्यम से भेज दी जाए।

जाने क्या था विवाद

दरअसल 2022 में मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने परीक्षा आयोजित की थी। जिसमें एक सवाल पूछा गया था कि मध्य प्रदेश में कितने प्रतिशत भाग में सागवान लगा हुआ है। इसमें कुछ विकल्प दिए गए थे जिनमें 19% और 30% दोनों ही केंद्र और राज्य के अलग-अलग रिपोर्ट के मुताबिक सही पाए गए थे, लेकिन एमपीपीएससी ने केवल मध्य प्रदेश सरकार के आंकड़े को सही मानकर नंबर दे दिए थे। इसके बाद से ही विवाद खड़ा हो गया था जबकि 2019 की रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश में 29.5 4% सागौन है। जबकि मध्यप्रदेश सरकार ने 19.36 आंकड़ा बताया है।

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