देश के सबसे स्वच्छ शहर का नाम कैसे पड़ा इंदौर, जाने इसका इतिहास

मां अहिल्या की नगरी और मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर जिसे मिनी मुम्बई भी कहा जाता है । इंदौर धीरे-धीरे फ़िल्म इंडस्ट्री का अड्डा भी बनता जा रहा है कुछ दिनों में मेट्रो ट्रेन भी आने वाली है। वहीं इस शहर को अब स्मार्ट सिटी का दर्जा भी प्राप्त हो गया है, लेकिन कभी आपने सोचा है कि इस शहर का नाम इंदौर कैसे पड़ा नहीं मालूम है तो इस स्टोरी में आपके सवाल का जवाब मिल जायेगा।

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राजा इंद्र के नाम पर पड़ा इंदौर

बताया जाता है कि प्राचीन काल में यहां देवताओं के राजा इंद्र का एक भव्य मंदिर था। इसके बाद आसपास के क्षेत्र का नाम इंदौर पड़ा था। वही जिस प्रकार भगवान शिव की नगरी काशी है उसी प्रकार इंदौर पृथ्वी पर एकमात्र राजा इंद्र नगर आठवीं शताब्दी में राजकोट के राजपूत राजा इंद्रजीत की प्रतिमा की स्थापना की और इसका नाम रखा है। महादेव इसी मंदिर के कारण इस शहर का नाम इंद्रपुरी हो गया था।

कई दिनों से इस शहर का नाम इंद्रपुरी था लेकिन 18वीं शताब्दी में महाराष्ट्र शासन काल लागू होने के बाद उसके बाद इसका नाम बदलकर इंद्रपुरी से इंदूर हुआ बाद में यह कई दिनों तक इंदूर के नाम से पहचाने जाने लगा। 18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में ब्रिटिश शासन में इंदौर का नाम बदलकर अंग्रेजों ने इंदौर कर दिया तब से ही इसे इंदौर के नाम से पहचाने जाने लगा है।

बता दें की इंद्रपुरी का नाम पहले चीतावद था इसके बाद बौद्ध साहित्य में चीटिकाओं का उल्लेख है। इंदौर के नाम को लेकर काफी कुछ उल्लेख किया गया था। इंदौर में हड़प्पा संस्कृति की समकालीन सभ्यता कायम और निरन्तरता होने के प्रमाण मिले है। यह 1973-74 के बीच आजाद उत्खनन में प्राप्त अवशेष मिले है।

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