मध्यप्रदेश के विंध्याचल पर्वतों के बीच बना जामखुर्द किला में चल रहा सुधार कार्य, अब होलकरकालीन गढ़ी को निहार सकेंगे पर्यटक

मध्यप्रदेश में कई धार्मिक स्थल होने के साथ ही पर्यटन स्थल भी मौजूद हैं। बारिश के मौसम में इन पर्यटन स्थलों पर घूमने के लिए पर्यटक पहुंचते हैं। ऐसे में मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर से कुछ दूरी पर स्थित विंध्यांचल पर्वतों के बीच बना जाम खुर्द किला जर्जर हालत में पहुंच गया है। ऐसे में यहां पर पर्यटकों की संख्या कम हो गई है। पर्यटन विभाग द्वारा इस किले के ऐतिहासिक वैभव को बरकरार रखने को लेकर अभी इसमें सुधार कार्य की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जिससे कि होलकर कालीन इतिहास जीवित रह सके ।

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70 लाख रुपए की लागत में होगा सुधार कार्य

जुलाई में पर्यटन विभाग ने करीब 70 लाख रुपए से इस धरोहर को सहेजने के काम शुरू किया था ।इसके बाद अब अंतिम चरण में इसका काम पहुंच चुका है ।यानी कि इस साल अंत तक इसका काम पूरा हो जाएगा। इस पर घूमने के लिए लोग बड़ी संख्या में अपने परिवारों के साथ पहुंचते हैं। आज हम जिस पर्यटन स्थल की बात कर रहे हैं वहां होलकर कालीन इतिहास से जुड़ा हुआ है।

इन चीजों के मसाले से कर रहे प्लास्टर

विंध्याचल पर्वतों के बीच बना जाम खुर्द जिला जर्जर हालत में पहुंच गया है पर्यटन विभाग अब इसमें सुधार कार्य करने का काम कर रहा है ।ऐसे में पर्यटन विभाग के सब इंजीनियर राज कुमार रघुवंशी का कहना है कि प्राचीनकाल पद्धति से ही गांव खुर्द किले का सुधार कार्य चल रहा है। पूरे किले के अंदर बाहर लाइन चूना, बेलफल, उड़द दाल के मसाले गुड़ से प्लास्टर किया जा रहा है। वहीं लाइन कंक्रीट भी किया जा रहा है। इसके लिए का निर्माण देवी अहिल्याबाई के शासनकाल में किया गया था।

इस किले की खासियत बहुत ही अच्छी है। वहीं होलकर स्टेट की दोनों राजधानियों में आने जाने के दौरान रास्ते में रुकने और विश्राम करने के लिए किले का निर्माण किया गया था। यहां पर चूने को गला कर गैस निकाली जाती है ।इसके बाद बेलफल, गुड और उड़द दाल मिलाकर मसाला तैयार करते हैं। पुराने समय में इसी मसाले से पत्थरों की जुड़ाई होती है। इसमें सीमेंट की अपेक्षा अधिक खर्च आता है, लेकिन इसमें मजबूती काफी अधिक होती है।

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इसके अलावा पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय के उपसंचालक प्रकाश परांजपे ने जानकारी देते हुए बताया कि प्राचीन काल पद्धति से ही जाम गेट का सुधार कार्य किया जा रहा है। पूरे गेट पर दीवार में लाइन बेलफल, उड़द दाल चुना ,गुड़ का मसाला बनाकर प्लास्टर किया जा रहा है ।छत में जहां जहां लिकेज है उसमें लाइन कंक्रीट भी कर रहे हैं ।ऐसे में इसकी लेख की धरोहर बनी रहे और खोलकर कालीन का इतिहास भी जीवित रह सके।