7 पुरस्कारों को अपने नाम कर इंदौर ने फिर मारी बाजी, छप्पन दुकान व गांधी हाल ने दिलाई सफलता, ग्वालियर और जबलपुर भी रहे विजेता
देश में स्वच्छता का परचम लहरा चुका इंदौर एक के बाद एक कई तरह के अवार्ड अपने नाम कर रहा है। 18 अप्रैल यानि सोमवार को इंदौर को स्मार्ट सिटी कॉन्फ्रेंस में 7 वार्ड मिले है। बता दें कि गुजरात के सूरत में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा निगमायुक्त को अवार्ड सौंपा गया है। इससे पहले इंदौर स्वच्छता में पंच लगाने का पुरस्कार ले चुका है और आगे भी कई तरह के प्रयास कर एक के बाद एक अवार्ड लेने की तैयारी में है।
इंदौर को मिलें ये 7 अवार्ड
दरअसल आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने गुजरात के सूरत में देश के 100 स्मार्ट शहरों के विजेताओं को पुरस्कृत किया है। इस प्रतियोगिता में इंदौर स्मार्ट सिटी कंपनी को सात पुरस्कार दिए गए है। इंडिया स्मार्ट सिटीज अवार्ड कॉन्टेस्ट की प्रतियोगिताओं में समग्र विजेता के रूप में सूरत को भी चुना गया है। इस पुरस्कार को गृह मंत्री अमित शाह के द्वारा इंदौर के निगमायुक्त को सौंपा गया है। स्मार्ट सिटी कंपनी के सीईओ ऋषभ गुप्ता ने सोमवार को सूरत के प्लेटिनम हॉल में केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी और शहरी आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के सचिव मनोज जोशी को पुरस्कार प्रदान किया गया है।
इन श्रेणियों में मिला इंदौर को अवार्ड
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इंदौर शहर को 6 श्रेणियों में अवार्ड मिलेंगे जिसमें इंदौर ने प्रथम स्थान हासिल किया है। इसमें इंदौर को सैनिटेशन मुंसिपल वेस्ट मैनेजमेंट के लिए इंदौर नगर निगम को प्रथम पुरस्कार, कल्चरल हेरिटेज कन्वर्जन प्रोजेक्ट सांस्कृतिक विरासत संरक्षण में प्रथम स्थान, इनोवेटिव आइडिया अवार्ड में प्रथम स्थान, वर्ल्ड एनवायरमेंट के लिए 56 दुकान को प्रथम स्थान, इन सबके लिए इंदौर को यह अवार्ड दिए जा रहे हैं जो शहर वासियों के लिए बड़ी ही गर्व की बात है।
अगर इंदौर की 56 दुकान की बात करें तो यहां रोजाना 5 से 15000 लोग पहुंचते हैं। इसकी खासियत यह है कि यहां खाने-पीने के शौकीनों की खास जगह मानी जाती है जो शहर की पहली नो व्हीकल स्ट्रीट है। इसके साथ ही सैनिटेशन में निगम का कचरा प्रबंधन सिस्टम कैटेगरी में इंदौर के साथ त्रिपुरा को पहला पुरस्कार मिला है। वहीं 2015-16 में कचरा प्रबंध की व्यवस्था शुरू की थी जिसके तहत डोर टू डोर कचरा लेने के लिए घर-घर गाड़ी आ जाती है और उस कचरे को कचरा ट्रांसफर स्टेशन तक पहुंचाया जाता है और इस कचरे से 20 टन और 15 टन प्रतिदिन क्षमता वाले बायो सीएनजी प्लांट तैयार हुए हैं। इस गैस का उपयोग निगम के वाहनों में किया जाता है। वहीं बेस्ट कचरे को खाद के रूप में इस्तेमाल भी किया जाता है।