इंदौर का मेट्रो प्रोजेक्ट खटाई में पड़ा, शहरवासियों को करना होगा मेट्रो ट्रेन के लिए लम्बा इंतजार

Indore Metro Project: इंदौर में मेट्रो ट्रेन चलाने की तैयारी पूरी तरह से हो चुकी है ।मेट्रो एलिवेटेड रहेगी या अंडर ग्राउंड अभी तक यह पता नहीं चल पाया है। इसे नेता तय करेंगे या मेट्रो विशेषज्ञ…….. मेट्रो रेल कारपोरेशन के इंदौर आए एमडी ने प्रोजेक्ट की समीक्षा की और मैदानी अवलोकन भी किया है। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ताई ने जाकर मुलाकात की और उन्होंने कहा कि एमजी रोड से मेट्रो चलाने का विरोध कर धरने पर बैठने की धमकी दी जा रही है। अगर ऐसा ही रहा तो इंदौर का मेट्रो प्रोजेक्ट खटाई में पड़ सकता है। 14 किलोमीटर के रूट के लिए टेंडर सहित सारी प्रक्रिया मेट्रो रेल कारपोरेशन को फिलहाल ठंडे बस्ते में डालना पड़ेगी।

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इन जगहों से निकलेगी मेट्रो ट्रेन

दरअसल 31 किलोमीटर के पहले चरण में ही अड़चन आना शुरू हो गई है। 17 किलोमीटर के हिस्से पर तेजी से काम चल रहा है। 14 किलोमीटर में मध्य क्षेत्र के समय नेताओं की आपत्ति भी दर्ज की गई है। इंदौर मेट्रो की जो रिंग पहले चरण में पूरी होना है। वहां एयरपोर्ट से गांधीनगर, सुपर कॉरिडोर, mr10 होते हुए विजय नगर रेडिसन और रोबोट चौराहा उसके बाद फिर खजराना बंगाली चौराहे वहां से कनाडिया रोड होते हुए पलासिया एमजी रोड, रीगल कोठारी मार्केट, राजवाड़ा से छोटा बड़ा गणपति रामचंद्र नगर से एयरपोर्ट तक बनना है। करीब 31 किलोमीटर के पहले चरण में से अभी 17 किलोमीटर के हिस्से में दिलीप बिल्डकॉन और रेल विभाग निगम द्वारा काम किया गया है।

एयरपोर्ट से रोबोट चौराहे तक इसका काम चल रहा है। 14 किलोमीटर के हिस्से के लिए टेंडर सहित अन्य प्रक्रिया मेट्रो रेल कारपोरेशन अभी करने जा रहा था, लेकिन ताई समेत अन्य नेताओं ने मध्य क्षेत्र को लेकर आपत्ति दर्ज कराई है। खासकर रिजल्ट से लेकर राजवाड़ा और उसके आसपास रामचंद्र नगर तक एलिवेटेड या अंडरग्राउंड लाइन डालें इस पर भी विवाद चल रहा है ।भोपाल सहायक कारपोरेशन के एमडी और नगरी प्रशासन आयुक्त निकुंज श्रीवास्तव ने दाएं से मिलने पर निगमायुक्त प्रतिभा बाल भी मौजूद रहे।

एलिवेटेड या अंडरग्राउंड लाइन डालें

इस दौरान उन्होंने विकल्प के रूप में सुभाष मार्ग वाला रोड बताया है कि एलिवेटेड कॉरिडोर के पक्ष में नहीं है राजवाड़ा गांधी हाल गोपाल मंदिर जैसे पुरातत्व इमारतों को नुकसान पहुंचाने का अंदेशा भी लगाया जा रहा है। मध्य क्षेत्र में विशेषज्ञों ने अंडर ग्राउंड लाइन डालने का ही विकल्प दिया है और उसे आधार पर प्रोजेक्ट को तैयार कर राज्य और केंद्र से मंजूरी ली है। नए सिरे से परिवर्तन भी किया जाता है तो टेंडर सहित सारी प्रक्रिया ठंडे बस्ते में चली जाएगी।

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एक तरफ मेट्रो को 2023 तक पहले चरण को शुरू करने की बात कही जा रही है, लेकिन इस तरह से प्रोजेक्ट का काम चलता रहा तो ठंडे बस्ते में जाने से कोई नहीं रोक सकता है। विवाद लगातार सामने आ रहे हैं। अब देखना यह है कि मेट्रो रेल कारपोरेशन इस मामले में किस तरह का फैसला लेता है।