इंदौर का 7 साल का दिव्यांग चढ़ा माउंट एवरेस्ट, काला पत्थर पर तिरंगा फहराने वाला बना दुनिया का कम उम्र का क्लाइंबर

अगर इंसान में काबिलियत और जुनून है तो कोई भी काम करना मुश्किल नहीं है। बीते दिनों जहां इंदौर की एक महिला ने साइकिल चलाकर रिकॉर्ड बनाया था। वहीं अब इंदौर के 7 वर्षीय अवनीश ने माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई कर डाली है। ऐसा कर वहां दुनिया का पहला बच्चा बन गया है। अवनीश ने 18 हजार 200 फिट ऊंचाई पर तिरंगा फहराया है। बता दें कि वहां 14 अप्रैल को इस यात्रा पर निकला था और 19 अप्रैल को शिखर पर पहुंचा इसके बाद 23 अप्रैल को वापस इंदौर लौट गया है।

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70 किलो का वजह लेकर की चढ़ाई

अवनीश के पिता आदित्य तिवारी ने जानकारी देते हुए कहा कि इस ट्रैक पर वहां 70 किलो का वजन लेकर चढ़ा। इसमें 10 किलो तो सिर्फ दवाई थी, ताकि इस चढ़ाई के दौरान किसी भी तरह की कोई परेशानी ना हो। वहीं नेबुलाइजर की मशीन भी साथ रखी थी। वहीं इस दौरान उन्होंने डाइट में भी बदलाव किए थे ।उन्होंने फल के साथ ही सादी दाल रोटी खाई इसमें मसालेदार किसी भी तरह की चीजों का सेवन नहीं किया है।

आदित्य ने जानकारी देते हुए कहा कि यह सफर इतना आसान नहीं था इसमें कई तरह के बाधाएं भी आई। डाउन सिंड्रोम एक तरह का क्रोमोसोमल डिफेक्ट है और यह परेशानी बच्चे में जन्म से ही होती है। और इसके सॉफ्टवेयर इंजीनियर पिता आदित्य ने जानकारी में कहा कि डाउन ऑन द टॉप ऑफ द वर्ल्ड इस वाक्य से उनका डाउन सिंड्रोम से है । अगर देखा जाए तो माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 29031 यानी 8848.86 मीटर है लेकिन अवनीश ने 18208 यानी 5500 मीटर काला पत्थर तक चढ़ाई की है इससे पहले इस उम्र के किसी भी बच्चे ने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई नहीं की है।

इस स्कूल में पढ़ रहा है अवनीश

बता दें कि अवनीश इंदौर की महू तहसील के आर्मी स्कूल में पढ़ाई कर रहा है। इसने उन्हें पढ़ने में किसी भी तरह की कोई समस्या नहीं आती है। लोग अनुवांशिक परेशानियों को बदकिस्मती मानकर परेशान होती और दया का भाव रखते हैं। इसे बदलना चाहिए। अवनीश को डाउन सिंड्रोम होने की वजह से उसे पेरेंट्स ने अनाथालय में छोड़ दिया था तब आदित्य एडॉप्शन के लिए वहां गए और उन्होंने अवनीश से अलग ही जुड़ाव महसूस किया। इसके बाद उन्होंने 7 महीने के बच्चे को गोद ले लिया और उसका नाम अवनीश रखा था इसके बाद अर्पिता से शादी की।

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