मध्यप्रदेश के इस मंदिर में लगी है महादेव की अदालत, महादेव करते हैं यहां न्याय, झूठ बोला तो होता है तांडव

देशभर में 14 जुलाई से सावन महीने की शुरुआत हो गई है। 18 जुलाई यानी सोमवार को सावन का पहला सोमवार है। भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए पालकी में सवार होकर निकलेंगे। वहीं चारों ओर बम बम भोले नाथ के जयकारे सुनाई दें रहे है। ऐसे में सुबह से ही देशभर के शिवालयों में शिव भक्तों का तांता लगा हुआ है। मध्य प्रदेश के ग्वालियर चंबल संभाग के शिवालयों में भी सुबह से शिव भक्त भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के लिए पहुंच रहे हैं। ऐसे में हम आपको एक अनूठे शिव मंदिर के बारे में बता रहे हैं।

google news

इंसाफ के लिए जाना जाता है ये मंदिर

भगवान भोलेनाथ के मंदिर में 18 जुलाई सावन के पहले सोमवार को शिव भक्तों का तांता लगा हुआ है। ऐसे में मध्यप्रदेश के ग्वालियर चंबल संभाग के गिरगांव स्थित महादेव मंदिर अपने आप में एक अनूठा माना जाता है। यह मंदिर ग्वालियर शहर से करीब 16 किलोमीटर की दूरी पर महाराजपुर से लगे भिंड रोड से 2 किलोमीटर अंदर स्थित है। इस मंदिर की कई तरह की चमत्कारी कहानियां है। इसके लिए यहां पर बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं और उनके दर्शन कर आशीर्वाद प्रदान करते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर को इंसाफ के लिए जाना जाता है। इसमें आने वाले लोग महादेव की झूठी कसम खाने से भी डरते हैं। यहां सभी मामलों का फैसला महज 8 दिनों में ही हो जाता है। इसलिए इस मंदिर को इंसाफ के लिए पहचाना जाता है।

मंदिर में 8 दिनों में मिलता है इंसाफ

बता दें कि इस मंदिर में मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि दूसरे प्रदेशों के शिवभक्त भी पर पहुंचते हैं ।इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ की अदालत लगती है। इसीलिए इस मंदिर में विराजित भगवान भोलेनाथ को इंसाफ का देवता कहा जाता है ।इस मंदिर में पंचों द्वारा सभी पक्षों का महादेव की कसम दिलाई जाती है। वहीं मामलों की संगीता के आधार पर अधिकतम 8 दिनों का समय दिया जाता है। अगर कोई अनहोनी या दुर्घटना के आधार पर संदेही को दोषी माना जाता है तो उनके ना घटने पर उसे निर्दोष मान भी लिया जाता है। बिना कोर्ट की लंबी तारीखों के लोगों का उक्त व्यवस्था पर अटूट विश्वास होता है। कहा जाता है कि 8 दिन में ही फैसला हो जाता है।

1 हजार साल पुरानी है मंदिर में शिवलिंग

वैसे तो भगवान भोलेनाथ के कई चमत्कारिक मंदिर है, लेकिन इस मंदिर की कहानी बहुत ही अटूट है। इस मंदिर में लोग इंसाफ के लिए पहुंचते हैं। इस मंदिर से जुड़े लोगों का कहना है कि यह शिवलिंग स्वयंभू है और करीब 1000 साल पुरानी है। गुर्जर समाज में इस मंदिर का बहुत महत्व है। समाज के लोगों ने गिरगांव के महादेव में इतनी आस्था है कि खाई गई कसम को कोई भी झूठा करार नहीं दे सकता है। वहीं धर्म न्याय की परंपरा भी उतनी ही पुरानी है। मंदिर में दोनों ही पक्षों के पंचों से निर्णय करने का आग्रह किया जाता है ।जिसमें सभी प्रकार के मामलों का निराकरण तुरंत हो जाता है। वहीं एक और खास बात यह है मंदिर में महिलाओं से कसम नहीं खिलाई जाती है।

google news

शिवरात्रि पर लगती है भोलेनाथ की अदालत

बता दें कि इस मंदिर में महाशिवरात्रि के मौके पर भगवान भोलेनाथ की अदालत लगती है। बकायदा यहां पंच बैठते हैं और मामलों को सुनते हैं दोनों पक्ष के द्वारा सुनी गई दलीलें प्रस्तुत करने के बाद भगवान महादेव न्यायमूर्ति बनकर अपना फैसला करते हैं। महादेव की ओर से पंचों द्वारा सुनाए गए फैसले के बाद लोगों के लिए यह आखिरी फैसला होता है। मंदिर की मान्यता है कि इस फैसले के बाद कभी कोई भी इस पर अपील नहीं करता है। यह मंदिर काफी चमत्कारी है और इसीलिए इस मंदिर को इंसाफ के लिए पहचाना जाता है।