देश का सबसे बड़ा कॉरिडोर बना महाकाल लोक, काशी विश्वनाथ से भी 4 गुना है बड़ा, जानिए खासियत

मध्य प्रदेश की प्रसिद्ध धार्मिक नगरी उज्जैन में महाकाल लोक बनकर तैयार हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को इसका लोकार्पण भी कर दिया है। यहां पर खूबसूरत नक्काशी दार मूर्तियां, रंग बिरंगी रोशनी की छटा पूरे शहर का भाव बढ़ा रही है। यह दीपावली की सजावट का नहीं बल्कि श्री महाकाल लोक के उद्घाटन का नजारा देखने को मिला। भारत के सबसे बड़े कॉरिडोर में इस महाकाल लोक का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकार्पण किया है। 900 मीटर से अधिक लंबे इस कॉरिडोर में सरगम के सात सुरों से सजी संगीतमय अंदाज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत किया गया।

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856 करोड़ की लागत से बनेंगे कॉरिडोर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकार्पण के दौरान कैलाश खैर ने शानदार भजन की प्रस्तुति दी। जिस भजन को सुप्रसिद्ध पद्मश्री गायक कैलाश खैर ने गाया है वहीं भजन अब महाकाल लोक में बजता रहेगा। जानकारी के अनुसार 900 मीटर से अधिक लंबा यह कॉरीडोर भारत में निर्मित सबसे बड़े गलियारों में से एक माना जा रहा है। 856 करोड़ की लागत से दो चरणों में इसे पूरा करेंगे। पहले चरण का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर चुके हैं। दूसरे चरण का काम 2324 तक पूरा होने का अनुमान है। सूत्रों की मानें तो यह कॉरिडोर काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से तकरीबन 4 गुना बड़ा है और दूसरे चरण का काम पूरा होने के बाद इन 9 गुना बढ़ा नज़र आएगा।

महाकाल लोक में बनाए गए 2 भव्य द्वार

महाकाल लोक में दो भव्य प्रवेश द्वार नंदी द्वार और पिनाकी द्वार बनाए गए हैं। नंदी द्वार के नीचे मौली से लिपटा एक विशाल शिवलिंग रखा गया है। इस विशाल कॉरिडोर को खोलने के प्रतीकात्मक रूप से शिवलिंग का आधिकारिक रूप से अनावरण भी किया है। कैबिनेट मंत्री भूपेंद्र सिंह ने इस मौके पर कहा प्रधानमंत्री मनजीत परीक्षण में महाकालेश्वर की पूजन करने के बाद नंदी द्वार गए और कार्य डोर का उद्घाटन किया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब कॉरिडोर से गुजरे तो बड़ी संख्या में कलाकार रास्ते में प्रस्तुतियां देते हुए नजर आए। इनमें सुप्रसिद्ध गायक कैलाश खेर ने भगवान शिव को समर्पित शिव स्तुति जय श्री महाकाल द्वारा इसके बाद प्रधानमंत्री देश भर से पधारे साधु संतों से मुलाकात की है। महाकाल मंदिर के नवनिर्मित गलियारे में 108 स्तंभ बनाए गए हैं। 910 मीटर का यह पूरा महाकाल मंदिर इन स्तंभों पर टिका हुआ है। महाकवि कालिदास के महाकाव्य मेघदूत में महाकाल वन की परिकल्पना को जिस सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया। सैकड़ों वर्षो के बाद उसे साकार रूप दे दिया गया है।

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