Shivratri special: मध्यप्रदेश में है देश का अनोखा खंडित शिवलिंग, जहां एक घटना से औरंगजेब भी बन गया था भोलेनाथ का भक्त, जानिए खासियत

भारत को धर्म प्रधान देश कहा जाता है यहां कई धार्मिक स्थल है जो विश्व विख्यात है। देशभर के लोग मंदिरों में दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। इतना नहीं विदेशों से भी लोग मंदिरों में दर्शन कर अपने को धन्य समझते हैं। इसी बीच हम आपको मध्यप्रदेश के सतना जिले ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जो अपने आप में विख्यात है। यह मंदिर कई साल पुराना और इस मंदिर में आज भी खंडित मूर्ति की पूजा होती है। इतना नहीं यह मंदिर इतना चमत्कार है कि एक समय ऐसी घटना घटी की औरंगजेब भी भगवान भोलेनाथ का भक्त बन गया था।

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जी हां अगर हमारे घर में कोई खंडित मूर्ति हो जाती है तो उसे हम जल में विसर्जित कर देते हैं या फिर किसी पेड़ के नीचे रख देते हैं,लेकिन सतना जिले के बिरसिंहपुर में स्थापित अद्भुत शिवलिंग के दर्शन के लिए कई भक्त बसंत पंचमी और महाशिवरात्रि के मौके पर पहुंचते हैं और बाबा शिव की मूर्ति की पूजा करते हैं।

दरअसल मध्यप्रदेश के सतना जिले से करीब 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बिरसिंहपुर एक कस्बा है, जहां तालाब किनारे गैवीनाथ नाम का शिव मंदिर है। इस मंदिर में वैसे तो हर दिन बाबा भोलेनाथ के भक्तों की भीड़ लगी रहती है, लेकिन सावन मास और महाशिवरात्रि के मौके पर बाबा के भक्त बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। कहते हैं यहां बाबा भोलेनाथ की खंडित शिवलिंग जिसकी पूजा करीब 100 वर्षों से की जाती है यहां पर महाशिवरात्रि और बसंत पंचमी का मेला लगता है।

कभी नहीं सूखता मंदिर का तालाब

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गैवीनाथ धाम में देशभर के कोने-कोने से श्रद्धालु पहुंचते हैं। महाशिवरात्रि और सावन मास में बाबा महाकाल के दर्शन कर भक्त अपने को धन्य समझते हैं, लेकिन इस मंदिर की एक खासियत है कि यहां मंदिर का तालाब कभी नहीं सूखता है। ठंड हो या फिर गर्मी हर मौसम में यह तालाब हमेशा भरा रहता है। इसकी धार बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन के शिप्रा नदी से जुड़ी है। कहते हैं भगवान शिव की कृपा से यह तालाब कभी नहीं सूखता है। राजा वीर सिंह महाकाल के अनन्य भक्त थे और रोजाना उज्जैन जाकर महाकाल के दर्शन करते थे। जब उनकी उम्र ज्यादा हो गई तो वह उज्जैन जाने में असमर्थ हो गए थे। इसके बाद उन्होंने बाबा राजा से प्रसन्न होकर गैवीनाथ के घर शिवलिंग के रूप में प्रकट हो गए और यहां विराजित हो गए।

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शिवलिंग को खंडित करने का प्रयास किया था

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गैवीनाथ मंदिर में जो शिवलिंग है वह करीब 100 साल पुरानी है। एक बार औरंगजेब की सेना ने शिवलिंग के ऊपर तलवार से वार दिया था जिसके बाद वहां तीन भागों में बंट गई थी। बताया जाता है कि तब से अब तक यहां शिवलिंग तीन भागों में ही विभाजित है और आज भी लोग इसकी पूजा करते हैं, लेकिन शिवलिंग को खंडित करने के बाद औरंगजेब और उनके सैनिक बेहोश हो गए थे और जब उन्हें होश आया तो वहां खुद चित्रकूट में पाए गए थे।

बताया जाता है कि गैवीनाथ की शिवलिंग के ऊपर पांच पंक्तियां लगी हुई थी। औरंगजेब ने शिवलिंग को खंडित किया तो पहली टंकी से दूध दूसरे से टंकी से शहद, तीसरी टंकी से खून, चौथी टंकी से गंगाजल और पांचवी टंकी से मधुमक्खियां निकली थी। जिसके बाद औरंगजेब को उल्टे पर भागना पड़ा था। बाद में लोगों ने अपनी आस्था को बरकरार रखते हुए शिवलिंग को पूजने लगे और आज तक यहां शिवलिंग विराजमान है।

औरंगजेब भोलेनाथ से हुए थे प्रभावित

इस घटना के बाद बाबा भोलेनाथ से प्रभावित होकर औरंगजेब ने चित्रकूट में 330 बीघा की जमीन में एक बालाजी मंदिर बनवाया था जो आज भी विख्यात है। इस मंदिर में औरंगजेब भगवान भोलेनाथ की पूजा करते थे । आज यहां शिवरात्रि के मौके पर बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं और बाबा भोलेनाथ की पूजा अर्चना कर आशीर्वाद प्रदान करते हैं।