मध्यप्रदेश के इस जिले का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल बदहाली का शिकार, 4.5 करोड़ की बिल्डिंग में जगह-जगह से हो रहा रिसाव

धार जिले में ट्रामा सेंटर की बिल्डिंग निर्माण के बाद भी विवादों में फंसी हुई है। यह बिल्डिंग करीब चार करोड़ 4 करोड़ 28 लाख 26 हजार में बनकर तैयार हुई है। 2015 में इसे बनाकर तैयार किया गया था उसे जिला अस्पताल प्रबंधक को हैंडोवर भी कर दिया गया था, लेकिन दूसरे साल से ही बिल्डिंग में जगह-जगह पानी रिसाव की शिकायतें सामने आने लगी है। आलम यह है कि अस्पताल में चंद घंटों की बारिश में बिल्डिंग से रिसाव हो रहा है। बीते गुरुवार को डेनिज का पानी सेंटर के मेटरनिटी बोर्ड स्टोर रूम समेत अन्य स्थानों पर घुसने से परेशानी खड़ी हो गई है।

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2015 में इतने करोड़ में बनी बिल्डिंग

इस मामले में जानकारी देते हुए आरएमओ डॉ. संजय जोशी ने बताया कि सफाई कार्रवाई और निकासी को सुचारू किया गया है। वहीं गंदा पानी घुसने की वजह से ऑपरेशन थिएटर में किसी भी तरह का ऑपरेशन नहीं हो पा रहा है। प्रसूता को संक्रमण फैलने का अंदेशा भी लगाया गया है। सोमवार शाम तक पानी निकालने का काम जारी रहा ।इसके पश्चात फागिंग कार कक्षों को बंद कर दिया गया ।बता दें कि 2015 में 4ः30 करोड़ रुपए के लागत से इस बिल्डिंग को बनाया गया था ।इसके बावजूद भी जिला मुख्यालय पर ट्रामा सेंटर प्रारंभ नहीं हो सका है ।भवन का नाम भी ट्रामा सेंटर पड़ गया है, लेकिन सेंटर के नाम से चर्चित बिल्डिंग में मैटरनिटी बोर्ड को शिफ्ट कर दिया गया है। गर्भवती महिलाओं क्या ऑपरेशन सहित उनको रखा जा रहा है।

अभी तक भी ट्रामा सेंटर काम नहीं किया शुरू

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 7 साल पहले 2015 में लगातार हो रही दुर्घटनाओं के बाद इस ट्रामा सेंटर को बनाने का फैसला किया था। अब हालत यह है कि ट्रामा सेंटर की बिल्डिंग तो बन गई है, लेकिन अभी तक यहां पर काम शुरू नहीं किया गया है। गंभीर तो ठीक यहां सामान्य मरीजों का भी इलाज नहीं किया जा रहा है। आलम यह कि अब मरीजों को इंदौर रैफर किया जा रहा है। स्थिति तब है जब मध्य प्रदेश में दुर्घटनाओं के मामले लगातार सामने आ रहे हैं ।मामले में धार जिले में सर्वाधिक दुर्घटनाएं और निधन होने से अव्वल स्थान पर पहुंच गया है।

वार्ड में रिपेयरिंग का काम जारी

कई सालों से बारिश की वजह से भवन गुणवत्ता ही निर्माण होने से रिसाव हो रहा है। डेढ़ साल पहले जिला कलेक्टर आलोक सिंह ने भवन की क्षतिग्रस्त दीवार और पानी रिसने के निशान देखकर पूछा था कि भवन क्या पीआईयू ने बनाया है। इसमें फफूंद लगने के बाद मामला सुर्खियों में आया है अब ताबड़तोड़ में वार्ड की महिलाओं को शिफ्ट करके रिपेयरिंग का काम किया जा रहा है।

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