700 इंटरव्यू और 5000 घंटों की रिसर्च का नतीजा है ‘द कश्मीर फाइल्स’, जाने फिल्म से जुड़ी खास बातें

बॉलीवुड इंडस्ट्री के जाने-माने फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री द्वारा बनाई गई कश्मीरी पंडितों के जीवन पर आधारित फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ काफी ज्यादा चर्चाओं में चल रही है। बता दें कि फिल्म में ऐसे राज को उजागर किया गया है। जिनसे ज्यादातर लोग अनजान ही थे। ऐसे में इस फिल्म का जमकर प्रचार हो रहा है। फिल्म को रिलीज के लिए बहुत कम सिनेमाघर मिले थे।

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सिनेमाघरों में रिलीज होने के बाद से ही इस फिल्म को देखने वालों के बीच में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। सभी लोग कश्मीर से जुड़ी इस फिल्म को देखना पसंद कर रहे हैं। लोगों के बीच में कश्मीरी पंडितों के साथ में हुई आपबीती के बारे में जानने की ललक देखने को मिल रही है। बता दें कि फिल्म को ज्यादातर लोगों की पब्लिसिटी का फायदा मिल रहा है। ‘द कश्मीर फाइल्स’, को बड़ी मात्रा में हर वर्ग के लोग देखने सिनेमा घर पहुंच रहे हैं।

फिल्म के लिए करना पड़ी 5000 घंटों की रिसर्च

आज हर तरफ ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म की ही चर्चा चल रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं इस फिल्म को बनाने के लिए विवेक अग्निहोत्री और उनकी पूरी टीम को कितनी ज्यादा मेहनत करना पड़ी थी हाल ही में दिए एक इंटरव्यू के दौरान निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने बताया है कि सुनने को बनाने के लिए तकरीबन 5000 घंटों की रिसर्च करना पड़ी थी इतना ही नहीं तकरीबन 700 से ज्यादा इंटरव्यू दिए गए।

इतना ही नहीं 15 हजार पेज के डॉक्यूमेंट्स को भी कनेक्ट करते हुए तमाम जानकारियां हासिल की गई। फिल्म के माध्यम से निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने कश्मीरी पंडितों के दर्द को सबके सामने रखने का प्रयास किया है इसके लिए उन्होंने अपनी पत्नी के साथ काफी रिसर्च की इसके लिए वे बहुत से कश्मीरी पंडितों के पास में भी पहुंचे जिन्होंने इस दौर का सामना किया इतना ही नहीं उन्होंने एक वीडियो भी साझा किया है।

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विवेक अग्निहोत्री 2018 में आया इस फिल्म का खयाल

विवेक और उनकी पत्नि पल्लवी जोशी इस वीडियो के दौरान खुद ही इतनी ज्यादा इमोशनल हो जाते हैं कि उनकी आंखों से भी आंसू निकल पड़ते हैं। विवेक अग्निहोत्री ने बताया है कि उनके मन में इस फिल्म को बनाने के लिए 2018 में खयाल आया। लेकिन इस पर पूरी तरह से राजी होने के लिए उन्हें कई महीनों लग गए उन्होंने बताया कि इसे बनाने के पीछे लोगों को कश्मीरी पंडितों से जुड़ी तमाम सच्चाई लोगों तक पहुंचाना था।

फिल्म बनाने से पहले उन्होंने कश्मीरी पंडितों से काफी बातें की एक एक चीज को अच्छे से समझा उसके बाद ही उन्होंने इस फिल्म को बनाने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि इस फिल्म को बनाने में काफी खतरा था उन्हें भी किसी तरह की हानि हो सकती थी। इतना ही नहीं उन्होंने इस बात की भी जानकारी साझा की है कि कश्मीरी पंडित उस समय काफी परेशानियों के दौर से गुजरे उन्होंने बहुत अत्याचार सहे और सरकार को लेकर भी काफी निराश दिखाई दिए।