कॉमनवेल्थ गेम्स में पहली बार पहुंचा मध्यप्रदेश के इंदौर का लाल, स्विमिंग के फाइनल में दिखाएंगे जौहर

मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी और देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर के रहने वाले तैराक अद्वैत पागे मंगलवार को बमिर्घंम में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम में 1500 मीटर की फ्रीस्टाइल तैराकी स्पर्धा में 7वें स्थान पर आ गए हैं। ऐसे में अद्वैत पागे ने कॉमनवेल्थ में तैराकी में फाइनल में अपनी जगह बना ली है। ऐसे में वहां 15 मिनट 39.25 सेकेंड के साथ सातवें स्थान पर पहुंच गए ।उनके सर्वश्रेष्ठ समय से पीछे रहे ।इसके पहले उद्देश्य केलिफोर्निया में हुई 1500 मीटर की तैराकी स्पर्धा में 15 मिनट 23.66 मिनट का समय लिया था जिसके बाद उसका चयन भारतीय दल में किया गया।

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तैराकी में अद्वैत पागे 7वां स्थान किया प्राप्त

मध्यप्रदेश में युवा में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। एक के बाद एक क्षेत्र में झंडे गाड़ दिए जा रहे हैं ।ऐसे में अब इंदौर के रहने वाले अद्वैत पागे ने कामनवेल्थ गेम्स में 1500 मीटर की फ्रीस्टाइल तैराकी स्पर्धा में सातवें स्थान प्राप्त कर लिया है। इतना ही नहीं इस गेम में उन्होंने 15 मिनट 39.25 सेकंड मैं फाइनल में जगह बना ली ।खास बात यह है कि यह पहली बार हुआ है। जब इंदौर का कोई खिलाड़ी कॉमनवेल्थ गेम्स के फाइनल में पहुंचा है। इंदौर के इतिहास में पहली बार हुए इस तरह के चमत्कार के बाद बुधवार रात 12ः42 को फाइनल मुकाबला खेला जाएगा, तभी इंदौर के लोगों की भगवान से यही प्रार्थना है की अद्वैत पागे इसमें सफलता हासिल कर शहर का नाम रोशन करें।

अपनी बहन को देखकर सीखी थी तैराकी

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अद्वैत पागे की बहन अदिति ने शिशु कुंज अकैडमी में ट्रेनिंग ली है और अपनी बहन अदिति को देखकर तैराकी सीखी थी। उन्होंने कहा कि 400 मीटर 800 मीटर और 15 मीटर के 13 की स्पर्धा में भारतीय रिकॉर्ड अपने नाम किया था। पहली बार 2015 में राष्ट्रीय पदक जीता। जिसके बाद से ही उत्साहित होकर इसे प्रोफेशनली जारी रखा गया। ऐसे में अब तक फाइनल मुकाबले में अच्छा प्रदर्शन करते हुए शहर का नाम रोशन करेंगे।

12वीं तक इंदौर में ली थी ट्रेनिंग

बता दें कि मनोज दवे अद्वैत पागे के कोच रहे हैं। 12वीं तक इंदौर में ट्रेनिंग ली। वर्तमान में अमेरिका में कोच एंथोनी नैस्टी के अंडर में 4 साल से ट्रेनिंग ले रहे हैं। उन्होंने कहा शुरुआत में उसके 3500000 रुपए सालाना खर्च हो गए थे। अभी स्कॉलरशिप मिलने लगी है जिससे उन्हें काफी राहत मिली है। उनके पिता आशुतोष पांडे ने कहा वहां महानंदा सॉफ्टवेयर कंपनी में फ्रांस का जॉब करती है।

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पिता आशुतोष ने कहा उद्योग को ज्यादा समय देने की वजह उसने कभी स्थाई जॉब नहीं की है। उन्होंने कहा कि कई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्पर्धाओं में भाग लिया। 100 से अधिक पदक जीते ।इस बार सातवें नंबर पर बेस्ट टाइम से पीछे रहे। फिर भी फाइनल में जगह बना ली है। मंगलवार को पहली बार हिट्स में जाने पर घबराहट हुई, लेकिन उन्होंने पदक पर फोकस किया और आखिरकार कॉमनवेल्थ गेम में पदक जीतने में सफलता हासिल कर ली।