भारत के गेहूं निर्यात पर रोक से दुनिया में मंडराया संकट, अब सिर्फ बचा है 70 दिन का गेहूं, जानें क्यों बने ये हालात

रूस और यूक्रेन के बीच हुए युद्ध के बाद इन देशों के हालात खराब हो चुके हैं। आलम यह है कि अब यूक्रेन के पास खाद्यान्न आपूर्ति की वजह से हालात खराब हो गए हैं। इनके पास खाद्यान्न नहीं बचा है। इसकी जानकारी अंतरराष्ट्रीय एजेंसी के अनुसार दी गई है। संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी जारी की है। कहा कि दुनिया भर के पास महज 14 सप्ताह यानी कि 70 दिन का गेहूं बचा है। जिसकी वजह से इन देशों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो सकता है। वहीं अंतरराष्ट्रीय एजेंसी की माने तो गेहूं का भंडार 2008 के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुका है। वहीं अब इन सभी देशों के द्वारा भारत से गेहूं निर्यात पर रोक नहीं लगाने की मांग की जा रही है।

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भारत से अमेरिका लगा रहा है ये गुहार

दरअसल एक समय ऐसा भी था जब भारत को अमेरिका गेहूं निर्यात के नाम पर धमकाता था। कई बार अमेरिका भारत का अपमान कर चुका था। यूएसपीएल 480 गेहूं खरीदना होता था। भारत द्वारा गेहूं के आयात में शर्त होती थी। यह संयुक्त राज्य अमेरिका से भारत में इसके परिवहन भंडारण आदि की जिम्मेदारी भारत की होगी, लेकिन अब हालत कुछ अलग है। दरअसल रूस और यूक्रेन के युद्ध के बीच अब भारत को काफी फायदा मिला है। भारत में इस बार अनाज की पैदावार अच्छी हुई है और बाकी देशों की हालत खराब हो चुकी है। ऐसे में इन देशों की नजर सिर्फ भारत पर टिकी है। यह देश चाहते हैं कि भारत गेहूं के निर्यात पर रोक नहीं लगाए। इतना ही नहीं अब अमेरिका भी भारत से गुहार लगा रहा है कि गेहूं के निर्यात पर लगी रोक हटाये।

अनाज के लिए तरस रहे है कई यूरोपीय देश

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यूक्रेन के पास गेहूं तो है, लेकिन बंदरगाहों पर अनाज पड़ा हुआ है और यहां पर युद्ध की वजह से निकल नहीं पा रहा है। ऐसे में अब उनकी स्थिति खराब हो चुकी है। बताया जा रहा है कि दुनिया में खाद्यान्न का ऐसा संकट कई दिनों में एक ही बार आता है। भारत के गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध के बाद यूरोप के देशों में गेहूं की कमी लगातार नज़र आ रही है। यूरोपीय देश अनाज के लिए तरस रहे हैं। वहीं इंटेलिजेंस की रिपोर्ट की मानें तो राशन के दुनिया के एक चौथाई गेहूं की आपूर्ति करते हैं।

वहीं अगर रूस की बात करें तो इस बार गेहूं की फसल अच्छी हुई है, लेकिन राष्ट्रपति पुतिन गेहूं की फसल पर नियंत्रण कर सकते हैं। वहीं इस मामले में गो इंटेलिजेंस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सारा मेनका ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि दुनिया खाद्यान्न को लेकर असाधारण चुनौतियों से जूझ रही है ।उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से कहा कि बिना वैश्विक प्रयास के हम मानवीय त्रासदी को रोक सकते हैं।

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अब हैरानी की बात यह है कि सभी देशों की निगाहें भारत के गेहूं पर टिकी है। उम्मीद है कि भारत अपने गेहूं के निर्यात पर रोक नहीं लगाई, लेकिन भारत पहले ही अपने घरेलू बाजार में कीमतों को नियंत्रण रखने के लिए गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा चुका है। भारत दुनिया में सबसे बड़ा उत्पादक गेहूं वाला देश माना जाता है।

23 मई को जापान में बैठक में उठेगा मुद्दा

बहरहाल 23 मई सोमवार को जापान में एक बैठक होने वाली है जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति वाइडन पीएम नरेंद्र मोदी से गेहूं के निर्यात से प्रतिबंध हटाने का अनुरोध कर सकते हैं। हालांकि अब देखना यह होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा इस बैठक के बाद इस तरह का फैसला लिया जाता है ।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा गेहूं के निर्यात पर रोक इसलिए लगाई गई थी क्योंकि भारत में गेहूं की कमी हो जाती। ऐसे में घरेलू बाजार में लगातार गेहूं की कीमत बढ़ती जा रही थी। इसकी वजह से सरकार की तरफ से गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी गई है।