ऑनलाइन खाने मंगाने में हो सकते हैं कंगाल, 99 रुपए की थाली 312 रुपए में मिल रही, जानिए कैसे हो रही लूट

इस समय लोगों के द्वारा ऑनलाइन खाना मंगाने का क्रेज काफी बढ़ गया है। लोग घर से बाहर नहीं निकलते हैं और ऑनलाइन ऐप के माध्यम से घर पर ही खाना बुला लेते हैं, लेकिन कई लोगों को यह नहीं पता है कि ऑनलाइन खाना मंगवाने वाले लोग काफी नुकसान में जा रहे हैं। हम देखते हैं कि ऑनलाइन ऐप के माध्यम से खाना मंगवाते हैं तो 50 से 75ः तक का डिस्काउंट कस्टमर को मिल रहा है, लेकिन असल में ऐसा कुछ भी नहीं होता है। इतना डिस्काउंट देने के बाद भी रेस्टोरेंट में खाना बेहद सस्ता मिलता है ।एक खबर के अनुसार पता चला है कि ऑनलाइन और ऑफलाइन होने की कीमतों में बड़ा अंतर का खुलासा हुआ है।

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ऑनलाइन खाना मंगवाना पड़ रहा महंगा

दरअसल 40 प्रतिशत तक ऑनलाइन कीमत देखी गई है। एक रेस्टोरेंट में खाने की थाली सब्जी, दाल, चावल, रोटी की कीमत 99 रुपए है। अगर हम उसी थाली को ऑनलाइन ऐप के माध्यम से मंगवाते हैं तो इसकी कीमत 312 रुपए बताई जाती है। इसमें उपभोक्ताओं को दिखावे के लिए 75 सीसी का डिस्काउंट मिलता है ।1 किलोमीटर तक डिलीवरी चार्ज 50 रुपए के साथ थाली 181 रुपए की जाती है। अगर हम रेस्टोरेंट में खाना खाते हैं तो हमें वही थाली सस्ते में मिल जाती है, लेकिन अगर ऑनलाइन मंगवाते हैं तो हमें महंगी पड़ती है।

ऑनलाइन आलू पराठा इतने रुपए पड़ता है महंगा

अगर हम आलू के पराठे की ही बात कर ले तो रेस्टोरेंट में 45 रुपए की कीमत होती है, लेकिन ऑनलाइन ऐप के माध्यम से चलता है। इसको आर्डर करते हैं तो 60 रुपए की डिलीवरी चार्ज जोड़ते हुए 80 रुपए में मिलती है। जानकारी के अनुसार शहर में थाने की एफ के करीब 1500 डिलीवरी ब्वॉय 80 प्रतिशत रेस्टोरेंट होटल से जुड़े हुए हैं । वहीं ऑनलाइन खाना मंगवाने की लोगों को आदत पड़ जाए तो इसके बाद उपभोक्ताओं से ज्यादा पैसा वसूल लिया जाता है।

रेस्टोरेंट्स चालकों ने बताया कि 25 से 30 प्रतिश कमीशन एक को देना होता है। हमें आकर मिलते हैं। इसी कारण हमें एक पर आने की सामग्री की कीमत बढ़ाना पड़ती है। बढ़ती कीमतों के बाद इसमें 1 किलोमीटर की डिलीवरी का एक 50 प्रतिशत तक का चार्ज लेता है। अगर रेस्टोरेंट की मेनू लिस्ट से ज्यादा में खाना बेच रहे हैं तो यह गलत है। डिलीवरी चार्ज को लेकर कोई भी सीमा नहीं बनी हुई है ।इसी वजह से मनमाना शुल्क वसूला जा रहा है। इस बात की जानकारी उपभोक्ता संरक्षण कैसे जोड़े चंचल गुप्ता अधिवक्ता ने दी है।

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