ग्रहण के बावजूद भी बंद नहीं होते हैं उज्जैन के महाकाल मंदिर के कपाट, जाने क्या है इससे जुड़ी परंपराएं
Chandra Grahan 2022 : मध्य प्रदेश के उज्जैन नगरी में विराजमान बाबा महाकाल जहां लाखों श्रद्धालु प्रतिवर्ष बाबा के सामने नतमस्तक होने के लिए आते हैं। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा महाकाल जो की शिप्रा नदी के तट उज्जैन नगरी में विराजमान है। बाबा महाकाल देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में काफी ज्यादा फेमस है। हाल ही में देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा महाकाल लोक का लोकार्पण किया गया है। जिसके बाद से ही महाकाल परिसर को लेकर लोगों की उत्सुकता और काफी ज्यादा बढ़ चुकी है।
बाबा महाकाल अपने चमत्कारों के लिए हमेशा से ही जाने जाते रहे हैं। उज्जैन नगरी में आने वाला हर एक शख्स बाबा महाकाल के सामने शीश झुकाए बगैर नहीं जाता लेकिन क्या आपको पता है। ग्रहण के समय ज्यादातर मंदिरों के कपाट को बंद कर दिया जाता है। लेकिन उज्जैन नगरी में विराजमान बाबा महाकाल के कपाट ग्रहण के समय भी बंद नहीं किए जाते हैं। तो चलो इस आर्टिकल में आपको बताते हैं कि इसके पीछे की क्या परंपरा है हैं और मंदिर से जुड़े पुजारियों का क्या कहना है।
मस्तक पर विराजमान है चंद्रमा
दरअसल, यह परंपरा सदियों से चली आ रही है कभी भी बाबा महाकाल के कपाट चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण के समय बंद नहीं किए जाते हैं। बाबा हमेशा अपने भक्तों को दर्शन देते हुए नजर आते हैं। आपने देखा होगा कि ज्यादातर मंदिरों के कपाट को चंद्र ग्रहण हो या सूर्य ग्रहण बंद कर दिया जाता है। लेकिन मध्यप्रदेश में विराजमान बाबा महाकाल का दरबार एक ऐसा है जहां पर मंदिर के कपाट को ग्रहण के समय भी बंद नहीं किया जाता है।
वहीं सूर्यग्रहण को लेकर जानकारी देते हुए महाकालेश्वर मंदिर के आशीष पुजारी द्वारा इस बात की जानकारी साझा की गई है कि ग्रहण के समय केवल शिवलिंग को स्पर्श नहीं किया जाता है बाकी मंदिर परिसर का कपाट तो खुला ही रहता है। मंदिर के पुजारी ने इस बात की भी जानकारी साझा की है कि ग्रहण के समय भक्तों की तादाद और ज्यादा देखने को मिलती है बाबा महाकाल के दर्शन करने के लिए भक्त बड़ी संख्या में चंद्र ग्रहण के दौरान मंदिर परिसर में पहुंचते हैं।
हालांकि उन्होंने इस बात की जानकारी साझा की है कि ग्रहण के समय आरती के समय में कुछ परिवर्तन कर दिए जाते हैं लेकिन बाबा महाकाल कालों के काल है ऐसे में किसी भी ग्रहण का उन पर कोई असर नहीं होता इस वजह से मंदिर के कपाट को कभी बंद नहीं किया जाता है। यह परंपरा काफी पुरानी है जिसे आज भी निभाया जा रहा है। बता दें कि आज चंद्रग्रहण लगने वाला है। ऐसे में ज्यादातर मंदिरों के कपाट को बंद कर दिया जाता है। लेकिन बाबा महाकाल इस समय भी अपने भक्तों को दर्शन देते रहते हैं।