फायर मलखंभ को विश्व स्थल पर पहचान दिलवाने के लिए दिन रात मेहनत कर रही मध्यप्रदेश के रतलाम की बेटियां
युवाओं के बीच में खेलों को लेकर काफी ज्यादा महत्व देखने को मिलता है। ज्यादातर युवा आज के समय में कॉन्पिटिटिव एग्जाम की तैयारियां करते हैं। ऐसे में वहां खुद अपनी फिटनेस को लेकर काफी ज्यादा चिंतित रहते है। ऐसे में सभी युवा किसी ना किसी तरीके से अपनी फिटनेस को बरकरार रखते हैं। इतना ही नहीं बहुत से युवा ऐसे भी होते हैं जिन्हें खेलों से काफी ज्यादा लगाव होता है। लेकिन आज हम कुछ ऐसी लड़कियों के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि समय के साथ गुम होते हुए खेल को जिंदा करने के लिए दिन रात मेहनत कर रही है।
दरअसल, आपने मलखंभ का नाम तो सुना ही होगा जिसमें एक डंडे के सहारे काफी हैरतअंगेज करतब किए जाते हैं लेकिन यहां हर किसी के बस में नहीं होता इसके लिए काफी एनर्जी के साथ ही आपके शरीर में भी दम होना चाहिए इसके लिए काफी मेहनत और प्रैक्टिस करना पड़ती आपने ज्यादातर मलखान करते हुए नौजवान लड़कों को ही देखा होगा। लेकिन आज हम मध्यप्रदेश के रतलाम की उन बालिकाओं के बारे में बात करने जा रहे हैं जो कि मलखंभ ही नहीं करती बल्कि काफी शानदार करतब भी करती थी नजर आती है।
बच्चियों की उम्र 7 से 22 साल के बीच
बता दें कि प्रदेश के रतलाम में स्तिथ जवाहर व्यायामशाला में हर शाम आपको 7 साल से लेकर 22 साल की उम्र तक की लड़कियों की फौज दिखाई देगी जो कि आग के सहारे मलखंभ करती हुई नजर आती है। इन बालिकाओं को ज्यादा सुविधा में ना मिल पाने के कारण इन्हें खुद ही सारे इंतजाम अपने अनुसार ही करने होते हैं और जो भी सामान्य मिल जाता है उसके सहारे ही यह बालिका है काफी शानदार करतब करती हुई नजर आती है शाम को व्यायामशाला का नजारा काफी देखने लायक होता है।
गौरतलब है कि यह बाली कहां है इस मलखंभ को विश्व स्तर पर पहचान दिलवाने के लिए दिन रात मेहनत कर रही है। 3 महीने से लगातार यह बाली कहां है मेहनत कर रही है और खेलो इंडिया के माध्यम से इसे वह विश्व स्तर पर पहचान दिलवाने की कोशिशों में लगी हुई हैं। इस बारे में जानकारी देते हुए मलखंभ खिलाड़ी एकता सोलंकी और श्रुति गुप्ता मैं जानकारी साझा की है कि ज्यादा सामान मौजूद ना होने की वजह से समय काफी ज्यादा लग रहा है।
इतना ही नहीं उन्होंने आगे यह भी बताया कि व्यायामशाला की तरफ से ही सारे इंतजाम किए जा रहे हैं किसी के द्वारा भी कोई सपोर्ट नहीं मिल पाया है वहीं प्रशिक्षण देने वाले सर का कहना है कि ज्यादा सामान ना मिल पाने की वजह से प्रैक्टिस में काफी समय भी लगता है, बालिकाओं को बार-बार एक ही चीज को करना पड़ता है। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा है कि सभी बालिकाओं में इस खेल को लेकर काफी ज्यादा ललक है और हर हाल में इसे पॉपुलर बनाना चाहती है।