भारत की बेटी ने 16 साल की उम्र में रचा इतिहास, जो कभी नहीं कर सकी साइना और सिंधु वो तसनीम मीर ने कर दिखाया
खेल की दुनिया बहुत ही रंगीन और मनोरंजन वाली होती है इसमें कुछ करने की ठान ले तो जो चाहे वो कर सकते है। ऐसा ही कर दिखाया है भारत की एक बेटी तसनीम मीर ने जिन्होंने अपने पिता और अपनी मेहनत के बलबूते आज अंडर-19 की वुमन्स सिंगल्स कैटेगरी में सफलता के झंडे गाड़े है। बैडमिंटन स्टार तसनीम मीर ने 16 साल की उम्र में वो कर दिखाया है जिसे अभी तक ओलंपिक की मेरिट लिस्ट खिलाड़ियों ने नहीं किया है।
दरअसल तसनीम मीर अंडर-19 की वुमन्स सिंगल्स कैटेगरी में दुनिया की नंबर वन खिलाड़ी बन गई है। तसनीम ने ओलंपिक मेडलिस्ट साइना नेहवाल और पीवी सिंधु को पीछे छोड़ दिया है। इस उपलब्धि को जूनियर खिलाड़ी रहते भारत की 17 महिला खिलाड़ियों समेत साइना नेहवाल, पीवी सिंधु भी हासिल नहीं कर पाई है, लेकिन बैडमिंटन की स्टार तसनीम ने ऐसा कर दिखाया है। बता दें कि तसनीम मीर ने अलग-अलग कैटेगरी में करीब 22 टूर्नामेंट खेलकर उन्हें अपने नाम किए है जिसमें दो बार एशियन चैंपियन रही है।
गुजरात के मेहसाणा की रहने वाली बैडमिंटन स्टार तसनीम जिन्होंने साइना नेहवाल और पीवी सिंधु समेत ऐसी कई भारतीय बैडमिंटन और ओलंपिक मेडलिस्ट खिलाड़ियों को पीछे छोड़कर अंडर-19 की भूमन सिंगल केटेगरी में दुनिया में भारत का परचम लहराया है और ऐसा कर भारत की जूनियर महिला खिलाड़ी बन गई है। बता दें कि 2011 में जूनियर वर्ल्ड रैंकिंग शुरू हुई तब साइना इसमें एलिजिबल नहीं थी जबकि सिंधु वर्ल्ड नंबर दो खिलाड़ी रह चुकी है।
ओलंपिक में मेडल लाना तसनीम का सपना
वहीं इस उपलब्धि को हासिल करने के बाद तसनीम मीर का कहना है कि ओलंपिक में मेडल जीतकर लाना उनका सपना था और उस सपने को आज उन्होंने साकार किया है। उन्होंने कहा कि इस मेडल को जीत कर वहां बहुत खुश है। तसनीम ने कहा कि पीवी सिंधु और साइना नेहवाल की तरह आगे बढ़ने की कोशिश में है। सीनियर लेवल पर अगले ओलंपिक में भारत के लिए मेडल जीतने के लक्ष्य से प्रैक्टिस जारी रखेगी।
पिता की आर्थिक तंगी से खेल किया था बंद
तसनीम मीर का कहना है एक समय उनकी जिंदगी में ऐसा भी आया था कि उन्हें काफी संघर्ष और तंगी की आर्थिक तंगी के चलते जूझना पड़ रहा था। ऐसा समय भी आया था जब उन्हें खेल से बाहर होना पड़ा था। खेल बंद करना पड़ा था लेकिन एक स्पॉन्सर मिलने के बाद उन्होंने फिर से खेल शुरू किया और आज इस मुकाम तक पहुंच गई है। तसनीम बताती है कि उन्होंने 3 साल गोपीचंद एकेडमी और गुवाहाटी इंडस्ट्री में ट्रेनिंग ली थी। वहीं उनके पिता का कहना है कि उनकी बेटी को बचपन से ही बैडमिंटन खेलने का शौक था।