आखिर किस वजह से आटा, चावल, दाल पर लगाया गया GST चार्ज, सरकार ने कर दिया खुलासा
केंद्र की मोदी सरकार के द्वारा कई खाने पीने की चीजों पर लगने वाली जीएसटी में बढ़ोतरी कर दी है। जीएसटी में बढ़ोतरी होने के बाद आम जनता को लगातार महंगाई का सामना करना पड़ रहा है। सरकार की तरफ से जीएसटी बढ़ाने का सबसे बड़ा मकसद इन उत्पादों पर टैक्स चोरी रोकने के लिए है। वहीं कई राज्यों ने इसकी मांग पहले की थी। हाल ही में पहले से अनाज, दाल, आटा, छाछ और दही, पनीर पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगाने का फैसला किया है। पहले यह चीजें जीएसटी के दायरे से बाहर थी, लेकिन अब जबसे इन पर जीएसटी लगाया गया है इनकी कीमतों में भी बढ़ोतरी हो गई है।
जीएसटी काउंसलिंग की बैठक में लिया फैसला
दरअसल चंडीगढ़ में जीएसटी काउंसलिंग की बैठक हुई थी जिसमें जीएसटी की नई दरें 18 जुलाई से लागू कर दी गई है। विपक्ष इस बढ़ोतरी को वापस लेने की मांग लगातार कर रहा है। ऐसे में अब सरकार के द्वारा पैक वाली चीजों पर जीएसटी बढ़ा दिया गया है। वहीं बजाज ने बताया मंत्रियों के समूह ने भी इन उत्पादों पर जीएसटी लगाने की सिफारिश की थी जिसे जीएसटी परिषद ने भी मंजूरी दे दी है ।अब डिब्बाबंद खाद्य उत्पादों पर 5 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाया गया है जिसकी वजह से यह चीजें अब ग्राहकों को और भी महंगी मिलेगी।
खुली चीजों पर लागू नहीं होगी जीएसटी
राजस्व सचिव ने कहा कि जीएसटी परिषद जीएसटी से जुड़े मामलों में निर्णय लेने वाली शीर्ष संस्था है और इस समिति ने आम सहमति से पेट वाले उत्पादों पर जीएसटी लगाने का फैसला किया है ।यह समिति में राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि भी शामिल रहे हैं ।ऐसे में राई, गेहूं , दालें, जो, मक्का, चावल, आटा, सूजी, बेसन, दही समेत कई खुली चीजें बेची जाती है और पैक पर लेवल नहीं होते हैं। उस पर जीएसटी नहीं लगेगा, लेकिन जो पैक वाली चीजें हैं उस पर जीएसटी लगाया जाएगा ।ऐसे में आप कोई भी व्यक्ति चीजों को खरीदना है तो उसे अधिक रुपए देना पड़ेगा। 2017 में लागू की गई थी जिसके बाद कोई भी नहीं कर सकता है।
नियमों की मानें तो यदि ब्रांड कार्रवाई योग्यता को माफ करते हैं तो पहले से पेश किए गए सामानों पर जीएसटी नहीं लगाया जाएगा। इसका फायदा उठाकर कुछ जाने.माने ब्रांड अपने खुद के ब्रांड नाम वाले पैकेट में इन वस्तुओं को बेचना शुरू कर देंगे ।इसके साथ ही अब कोई भी टैक्स चोरी नहीं कर पाएगा। हालांकि जीएसटी लगाए जाने के बाद आम जनता की जेब पर बोझ जरूर पड़ा है।