कभी गरीबी में चाय की दुकान में किया काम, 70 किमी स्कूल जाकर बनाया भविष्य, तब कहीं जाकर बने IAS

यूपीएससी क्लियर करने का सपना हर किसी का होता है। इसके लिए आज के युवा काफी मेहनत करते हैं, तब कहीं जाकर उन्हें सफलता मिल पाती है। इस बार यूपीएससी का रिजल्ट बहुत ही अच्छा आया है। जिसमें देश की तीन बेटियों ने टॉप किया है। ऐसे में कई युवाओं ने यूपीएससी एग्जाम में बाजी मारी है। ऐसे में हम आपको एक ऐसे होनहार युवा के बारे में बताने जा रहे हैं। जिन्होंने काफी संघर्ष किया तब कहीं जाकर आज वहां आईएएस अफसर बने हैं।

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8 से 10 घंटे करना पड़ती है पढ़ाई

दरअसल यूपीएससी पास करना कोई मामूली बात नहीं है। इसके लिए खुद को फाइनेंशली और मेंटली दोनों तरीके से मजबूत करना पड़ता है। इसकी तैयारी में खुद को झोंकना पड़ता है। एक या 2 घंटे पढ़ाई करने से कुछ नहीं होता है। इसके लिए करीब 8 से 10 घंटे पढ़ाई करना पड़ती तब कहीं जाकर इसमें सफलता मिलती है। ऐसे में एक यूपीएससी स्टूडेंट्स की स्टोरी हम आपको बताने जा रहे हैं जो कि काफी दिलचस्प है। इनके बारे में जानकर जो यूपीएससी को मामूली एग्जाम समझते हैं उन्हें इससे काफी कुछ सीखने को मिलेगा।

70 किलोमीटर जाते थे दूर जाते थे स्कूल

दरअसल हम बात कर रहे हैं आईएएस हिमांशु गुप्ता की जो कि उत्तराखंड के रहने वाले है। इनका सपना आईएएस बनना था और आखिरकार उन्होंने कठिन परिश्रम और मेहनत के बाद इस तरह का मुकाम हासिल किया है। हिमांशु बचपन से ही मेहनत ही थे और हर रोज 70 किलोमीटर का सफर टेकर स्कूल जाते थे। उनके पिता एक मजदूर थे और उनके हाथ में घर चलाने के साथ ही बेटे की पढ़ाई का जिम्मा भी था, लेकिन इसके बावजूद गरीबी और पैसों की तंगी के बीच हिमांशु ने काफी मेहनत की और इस सफलता तक पहुंचे हैं।

इतना ही नहीं हिमांशु अपने पिताजी की मदद के लिए एक चाय की दुकान में काम करने लगे। कठिन परिश्रम के बाद भी हिमांशु पीछे नहीं हट कुछ अनोखा और अलग करने के जज्बे के चलते उन्होंने ऐसा लक्ष्य प्राप्त करने का सपना देख लिया। जिसे एक संपन्न परिवार वाले नहीं देख सकते हैं।

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सामने कई बड़ी चुनौतियां भी आई

हिमांशु ने यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल करने का सपना देख लिया था। इसके लिए जी तोड़ मेहनत करने लगे उनके सामने कई बड़ी चुनौतियां भी आई ।गरीब परिस्थितियों में भी उन्हें रोकने का फैसला नहीं किया और हमेशा आगे बढ़ते गए उनके सामने सबसे बड़ा चैलेंज था कि उन्हें आईएएस बनना था। इसके चलते उन्होंने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपना स्कूल कई साल तक छोड़ने का फैसला कर लिया। हिमांशु देश परीक्षा में सफल होने के लिए कुछ को इसमें बुरी तरह से रोक दिया था। उनके पिता में भी हिमांशु को अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए फ्री कर दिया था और कहा था कि तू इस लक्ष्य को हासिल कर।

चाय बेचने पर उड़ाते थे क्लासमेट मजाक

हिमांशु ने एक दुकान में चाय बेची उन्हें लोग छोटू चाय वाले के नाम से जानने लगे थे, लेकिन चाय बेचना उनके लिए सरल नहीं था। जब वहां चाय बेचते थे तो उनके क्लासमेट्स उनका मजाक उड़ाते हिमांशु कहते हैं। उन्होंने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया। केवल पढ़ाई पर फोकस किया और आज अपनी मेहनत और लगन के बलबूते इस सफलता को हासिल की है। उनका एक ही सपना था और एक ही मूल मंत्र था कि वहां एक दिन आईएस बनेंगे। भगवान और खुद पर भरोसा कर हर चीज को हासिल करते रहे और ऐसे में अब आईएएस बनकर सबके सामने खड़े हैं अपने बेटे की सफलता के बाद एक पिता को भी गर्व महसूस हो रहा है।