इंदौर और ज्ञानवापी का गहरा नाता, देवी अहिल्याबाई होलकर के हस्ताक्षर में खुद की जगह लिखा होता था ये नाम, जानें वजह

बीते दिनों से वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद का मामला सोशल मीडिया पर छाया हुआ है। इस मामले में हिंदू संगठनों ने मस्जिद में शिवलिंग होने का दावा किया है। इसके बाद अब एक और जानकारी सामने आई है। जिसमें बताया जा रहा है कि इंदौर की देवी अहिल्या बाई का ज्ञानवापी से गहरा नाता है। इस घटना की जानकारी सामने आने के बाद सभी हैरान हैं। बता दें कि भगवान शिव के प्रति अहिल्याबाई होल्कर की आस्था काफी थी। एक खास और बात यह है कि अहिल्याबाई के हस्ताक्षर में कहीं भी उनका नाम नहीं होता था, बल्कि श्री शंकर आदेश लिखा रहता था। इस दौरान जब भी वह कोई निजी पत्र या फिर दस्तावेज भेजती थी तो उसमें सिर्फ शंकर आदेश लिखा हुआ था। उनके लिए शिव आराधना न्याय और प्रजा ही सर्वोपरि थी वह स्वयं से ज्यादा भगवान शिव में विश्वास करती थी।

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इन मंदिरों को अहिल्याबाई ने कराया जीर्णोद्धार

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कुछ ही दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा काशी विश्वनाथ मंदिर को संवारा था। इससे पहले इस मंदिर का जीर्णोद्धार इंदौर की देवी अहिल्या बाई ने किया था। इतना ही नहीं उन्होंने हिमाचल पर स्थित केदारनाथ ज्योतिर्लिंग से लेकर दक्षिण में समुद्र के तट पर स्थापित ज्योतिर्लिंग रामेश्वर तक निर्माण और चमकदार का कार्य करवाया था।

इतना ही नहीं 12 ज्योतिर्लिंग ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न शिव मंदिरों व अन्य मंदिरों का निर्माण और जिम्मेदार भी उन्होंने करवाया है, लेकिन अब अचानक एक जानकारी सामने आ रही है कि उनका ज्ञानवापी मस्जिद से भी गहरा नाता रहा है बताया जा रहा है कि जो शिवलिंग मंदिर में मिलने का दावा किया जा रहा है उसका निर्माण भी देवी अहिल्या होलकर ने किया है।

महंत ने याचिका में कहा है कि प्रार्थी के पूर्वज बाबा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत के रूप में सेवा करते थे। महंत कैलाश पति तिवारी के दिवंगत होने के बाद डॉ. कुलपति तिवारी बाबा की सेवा करने लगे। प्रार्थी के पूर्वजों के अनुसार 1669 से 1700 में इंदौर की रानी अहिल्याबाई होल्कर ने काशी विश्वनाथ मंदिर का पुन: निर्माण कराया।

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आज भी अहिल्याबाई की चल रही ये परंपरा

एक खास और जानकारी बता दें कि इंदौर की देवी अहिल्याबाई प्रतिदिन सुबह मिट्टी से एक करोड़ शिवलिंग बनाए जाते थे। उनका पूजन कर नर्मदा नदी में विसर्जित करती थी। इसके लिए उन्होंने पंडितों की विशेष व्यवस्था भी की थी। वहीं शिवलिंग में अनाज रखा जाता था ताकि नदी की गहराई में रहने वाले जीव जो ऊपर नहीं आ पाते हैं उनको आसानी से भोजन मिल पाए। इसके अलावा आज भी यह परंपरा महेश्वर में चल रही है। प्रति सोमवार यहां पर एक करोड़ पार्थिव शिवलिंग बनाकर उनकी पूजा की जाती है।

इसके अलावा देवी अहिल्या होलकर ने मंदिर ही नहीं बल्कि घाट कोई और धर्मशाला का भी निर्माण कराया है। जिसमें राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र समेत देशभर के विभिन्न प्रांतों में हरियाना मंदिर घाट हुए बावड़ी का धर्मशाला आदी बनवाए हैं। इसके अलावा उन्होंने द्वारका में पूजा घर बनवाया। रामेश्वर में राधा कृष्ण मंदिर, धर्मशाला, बनवाए। वहीं जगन्नाथ में रामचंद्र मंदिर धर्मशाला व कुएं बनवाए। ओमकारेश्वर में ममलेश्वर वार्ड क्रमांक केश्वर मंदिर के जीर्णोद्धार कराया। शिव जी का चांदी का मुकुट बनवाया। इसके साथ ही अयोध्या में राम मंदिर, खेताराम मंदिर, भैरव मंदिर, नागेश्वर मंदिर सहित अन्य मंदिर उन्होंने बनवाए हैं।