भगवान राम के भरोसे मध्यप्रदेश का ये पहाड़, युवाओं ने पर्यावरण बचाने के लिए उठाये ये कदम

मध्यप्रदेश में लकड़ी माफियाओं के द्वारा जंगलों को साफ कर वहां पर कब्जा किया जा रहा है। सरकार और गैर सरकारी संस्थाएं पर्यावरण को बचाने के लिए हर साल कई तरह के जतन कर रही है। इसके बावजूद भी पर्यावरण को बचाने में असफल लग रही हैं। इसी बीच हम आज आपको पर्यावरण बचाने की एक ऐसी सफलता की कहानी बताएंगे जिसे देखकर आप भी हैरान रह जाएंगे। मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के एक छोटे के गांव के लोगों ने मुहिम शुरू की जो आज भी जारी है।

google news

मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के लवकुश नगर तहसील के छोटे से गांव मुड़ेरी में पर्यावरण को बचाने के लिए ग्रामीणों ने वह कर दिखाया जिसे अभी तक कोई भी सरकारी गैर सरकारी संस्थाएं नहीं कर पाई है। पर्यावरण को बचाने के लिए ग्रामीणों ने ऐसा अनोखा प्रयोग किया। जिसकी दूर-दूर तक सराहना हो रही है। ग्रामीणों ने पर्यावरण को बचाने के लिए जो मुहिम वर्षो पहले शुरू की थी वह आज भी गांव की युवा पीढ़ी ने जारी रखी है। दरअसल माने तो मुंडेर गांव एक पहाड़ के चारों ओर से घिरा हुआ है। इस गांव के लोग इस पहाड़ को नंदीश्वर पहाड़ कहते हैं जो बहुत ही प्राचीन है। इस पहाड़ पर कई औषधि के पेड़ मिल जाएंगे। 20 साल पहले इस पहाड़ पर ना सिर्फ गंदगी थी बल्कि लोग लगातार पेड़ काटकर परिवहर कर रहे थे। इतना ही नहीं इस पहाड़ पर मौजूद पत्थरों को अपने घरों में उपयोग ले रहे थे माने तो यहां पर धड़ल्ले से पेड़ों के साथ ही पत्थरों का उत्खनन हो रहा था। इसके बाद युवा पीढ़ी ने इसे रोकने के लिए एक अनूठा प्रयास किया। प्रयास के चलते वह सफल भी रहा। युवाओं ने पहाड़ की चट्टानों पर राम नाम लिखना शुरू किया और धीरे-धीरे पहाड़ सुरक्षित एवं स्वच्छ होने लगा। इस गांव में पहाड़ 30 एकड़ में फैला हुआ है।

राम नाम लिखने से बचा पहाड़

इस गांव के ग्रामीणों द्वारा बताया गया कि इन्होंने सालों पहले पहाड़ के चट्टानों पर राम नाम लिखना शुरू किया। आज इसका असर चारों ओर देखने को मिल रहा है। पहाड़ में पहले से कहीं ज्यादा पेड़ नजर आ रहे हैं। वहीं इस जगह अब कोई भी व्यक्ति गंदगी नहीं करता है।

google news

युवाओं ने लिया जिम्मा

बुजुर्गों के बाद यहां रहने वाले ग्राम के युवाओं ने इस पहल को आगे बढ़ाते हुए इसे अपने सिर लिया और धीरे-धीरे इन्होंने भी चट्टानों पर राम नाम लिखने की मुहिम चलाई जा रही थी उसे आगे भी जारी रखा। आज इस गांव का पहाड़ पूरी तरह से सुरक्षित और स्वच्छ है।