इस टमाटर की खेती कर कमाये लाखों रुपये, कीमत जान रह जायेंगे हैरान, अनार-सेब भी पीछे, देखें तस्वीरें

आपकी रसोई में टमाटर का इस्तेमाल तो हर रोज घरों में होता है। टमाटर हर व्यंजन में हर सब्जी में टमाटर अपना स्वाद बढ़ाता है ऐसे टमाटर जो कभी बाजारों में 60 से 70 किलो तक बिकते हैं अब उन टमाटरों की कीमत 5 से 10 रुपये प्रतिकिलो पहुंच गई है। वहीं इन्हीं टमाटरों की किस्म भी कई तरह के होते है कहीं हाईब्रिड तो देशी होते है, लेकिन जैसी किस्म होती है वैसे ही इनके आकार भी होते है।

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आज हम आपको एक ऐसे टमाटर के बारे में बताएंगे जिसे देखकर आप भी चकित रह जाएंगे, जी हां इन दिनों मध्य प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर में चेरी और अंगूर जैसे टमाटर की खेती हो रही है। टमाटर की कीमत करीब 400 से 600 रुपये प्रति किलो की है। यह टमाटर रासायनिक खेती से नहीं बल्कि जैविक खेती से पैदा किए जा रहे हैं। इन टमाटर की खास बात यहां है कि यह टमाटर छोटे आकार के जरूर होते हैं लेकिन बड़े टमाटर को टक्कर देते है। इनका स्वाद बहुत ही लाजवाब है यह देखने में जरूर छोटे होते है, लेकिन टमाटर को देखकर हर किसी का दिल खुश हो जाता है।

वहीं ये खास किस्म का टमाटर इन दिनों खासा लोकप्रिय हो रहा है। विदेशों में भी इसकी काफी डिमांड है। इस टमाटर को विदेशों तक सप्लाई किए जाते है। संस्कारधानी के अंबिका पटेल नाम के एक किसान ने इस प्रजाति के टमाटर को अपने खेतों में उगाया पिछले कई साल से इसकी खेती अंबिका पटेल करते आ रहे हैं और यह अपने खेतों में उगाए गए टमाटर को मध्य प्रदेश के कई शहरों में सप्लाई करते हैं। अंबिका पटेल की माने तो जैविक खेती के तरीके से टमाटर उगाने के लिए उन्होंने एक गहरी रिसर्च की थी। टमाटर की अलग-अलग किस्म पर अध्ययन किया गया था फिर उसमें छोटा चेरी जैसे दिखने वाले टमाटर को सबसे उपयोगी पाया गया था।

दरअसल जब सामान्य तौर पर बाजारों में टमाटर की आवक बंद हो जाती है तब इस टमाटर का काफी उपयोग बढ़ जाता है। चेरी टमाटर की खेती करना कोई कठिन काम नहीं होता है बल्कि इसे ट्रे या फिर में उगाया जाता है। इस टमाटर में खास बात यह है इसका साइज जरूर छोटा होता है लेकिन इसके बावजूद इस में खटास बड़े टमाटर के बराबर होती है या माने कई गुना होती है। बताया जाता है कि इस टमाटर में विटामिन की मात्रा भी बड़े टमाटर से कई अधिक पाई जाती है। टमाटर की पैकिंग अंगुर की तरह की जाती है और इसके रखरखाव का तरीका भी बहुत अलग होता है इसमें रखरखाव के तरीके में काफी सावधानी रखना पड़ती है।

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