कोयला संकट से अंधकार की और अग्रसर मध्यप्रदेश, बिजली घरों में बचा सिर्फ डेढ़ से 3 दिन का कोल स्टॉक, कई जगह बिजली कटौती शुरू

मध्य प्रदेश में पिछले दिनों से लगातार कोयला संकट गहराया हुआ है। अब आलम यह है कि कई जगह कोयला संकट की वजह से बिजली कटौती शुरू हो गई है। बिजली कंपनी भले ही कोयले की आपूर्ति बढ़ाने को लेकर कई तरह के बड़े दावे कर रही हो, लेकिन अगर हालत देखें तो जस की तस बनी हुई है। अभी भी कायले की पूर्ति नहीं हो पाई है। ऐसे में कई जगह बिजली कटौती शुरू हो गई है। दरअसल बिजली कटौती के बाद सरकार की तरफ से कोयले की आपूर्ति बढ़ाने के लिए कई ट्रेनों को रद्द कर इसमें लगा दिया गया था, लेकिन अब भी हालत जस के तस बने हैं।

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बिजली ताप घरों में कोयले की कमी

अगर एक पखवाड़े की बात करें तो मध्यप्रदेश में कोयले की स्थिति में किसी भी तरह का सुधार नहीं हो पाया है। बिजली ताप घरों में कोयले की खपत रोजाना 80 हजार मैट्रिक टन तक पहुंच गई है जबकि आलम यह है कि बिजली घरों में 1.5 से 3 दिनों का कॉल स्टॉक शेष बचा हुआ है। वहीं जो कोयला आ रहा है वहां रोजाना बिजली के उत्पादन में ही खर्च हो रहा है। वहीं बिजली कंपनी के उत्पादन की स्थिति को बनाए रखने के लिए गांव में बिजली कटौती शुरू हो गई है। यानी कि कई गांव में अब बिजली कटौती की वजह से लोग काफी परेशान हो रहे हैं। कोयले की कमी की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली नहीं मिल पा रही है।

जानिए किन बिजली प्लांटों में कितना बचा स्टाक

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पावर प्लांटों में 80000 टन मेट्रिक टन कोयले की खपत होती है, लेकिन बिजली घरों में डेढ़ से 3 दिन का कॉल स्टॉक बचा हुआ है। वहीं बिजली की मांग बढ़ने के साथ ही कोयले की खपत भी बढ़ गई है। इसी तरह कहीं बिजली प्लांटों में कोयले की कमी नजर आ रही है, जहां कुछ ही स्टॉक बचा हुआ है। अगर बात करें संजय गांधी ताप विद्युत गृह की तो यहां पर कोयला स्टाफ 31700, वहीं कोयले की खपत रोजाना 22500 मैट्रिक हो रही है अब आलम यह है कि यहां पर कोयला सिर्फ डेढ़ दिन का बचा हुआ है।

ढाई दिन का बची उपलब्धता

वहीं सारणी ताप विद्युत गृह की बात करें तो यहां पर कोयले का स्टॉक 40600 मेट्रिक टन बचा हुआ है। वहीं कोयले की खपत 18200 मेट्रिक टन हो रही है। वहीं यहां पर कोयले की उपलब्धता सिर्फ ढाई दिन की बची हुई है।

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खंडवा के श्री सिंगाजी पावर प्लांट की अगर बात करें तो यहां पर कोयले का स्टॉक 145500 मेट्रिक टन बचा हुआ है। वहीं इसमें खपत 36300 मेट्रिक टन हो रही है। वहीं यहां पर इसकी उपलब्धता करीब 4 दिन की बची हुई है।

3.5 दिन का बचा हुआ है कोयले का स्टाक

अमरकंटक पावर प्लांट में भी कोयले का संकट मंडरा रहा है। यहां पर स्टॉप 52100 मेट्रिक टन कोयला बचा हुआ है। वहीं खपत 28000 मेट्रिक टन तक हो रही है। वहीं इसकी उपलब्धता सिर्फ 18 दिन की बची है। अब आलम यह है कि मध्य प्रदेश के सभी बिजली उत्पादन केंद्रों पर कोयला का संकट मंडरा रहा है। कुछ ही दिन का कोयला स्टॉप बचा हुआ है। ऐसे में बिजली कंपनियां कह रही है कि कोयले का स्टॉक काफी है, लेकिन अगर ऐसा ही चलता रहा तो आगामी समय में प्रदेश अंधकार में चला जाएगा। लिहाजा मध्य प्रदेश की बात करें तो यहां पर 3.5 दिन का कोयला शेष बचा हुआ है।