मध्यप्रदेश के किसानों को नई फसल के जबर्दस्त नुकसान, 3 हजार रुपए क्विंटल तक टूटी सोयाबीन की कीमत, जानिए ताजा भाव

मध्य प्रदेश में इस समय सोयाबीन की फसल का उत्पादन अच्छा होने की संभावनाओं के बीच एक बार फिर कीमतों में गिरावट का दौर शुरू हो चुका है। इसकी वजह से जिन किसानों ने पुराना सोयाबीन नहीं बेचा है। वहां अब मंडियों में लेकर पहुंच रहे हैं लेकिन उन्हें मंडियों में भाव के मामले में सिर्फ निराशा हाथ लग रही है ।इसके पीछे की वजह यह है कि सोयाबीन की अब नई फसल भी आना शुरू हो गई है। ऐसे में अधिक आवक होने की वजह से किसानों को सोयाबीन के भाव कब मिल रहे हैं। बीते एक पखवाड़े की अगर हम बात करें तो सोयाबीन के भाव 3000 रुपए क्विंटल तक टूट गए हैं।

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3 हजार रुपए गिर गई सोयाबीन की कीमत

दरअसल मध्यप्रदेश की बात करें तो करीब 2 महीने पहले 7500 से 7700 रुपए प्रति क्विंटल के भाव में नीलाम हो रही ।सोयाबीन के भाव अवसर पर 4400 से 4500 रुपए रह गए हैं। ऐसे में 3000 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से गिरावट देखने को मिली है। ऐसे में जो किसान अपना सोयाबीन लेकर मंडियों में पहुंचा है ।उन्हें भाव के मामले में सिर्फ निराशा हाथ लगी है प्लांटों द्वारा भाव गिराकर सोयाबीन की खरीदी करने के असर से अनाज मंडियों में बोली गिराकर सोयाबीन खरीदी जा रही है। नए सोयाबीन की प्रदेश की कुछ मंडियों में आवक माह के अंतिम दिनों में शुरू हो जाएगी। इस बार मौसम के अनुकूल रहने से सोयाबीन का उत्पादन अधिक होगा इन्हीं संभावनाओं से सोयाबीन के भाव गिरा दी है।

146 क्लास हेक्टेयर में बोई सोयाबीन की फसल

मध्य प्रदेश में इस समय खरीफ सीजन में 146 क्लास हेक्टेयर में खरीफ की फसलें बोई गई है। सबसे अधिक 50.1800000 हेक्टेयर में सोयाबीन की बुआई हो पाई है। इसके बाद इस बार धान का का रकबा 32.2000000 हेक्टेयर में है कृषि एक्सपर्ट कन्या ने तो मध्यप्रदेश में फसलों की स्थिति काफी अच्छी मानी गई है ।समय-समय पर होती रही मानसून की बारिश से किसानों को थोड़ी राहत मिली है।

भोपाल मंडी सचिव आरएस बघेल की मानें तो सोयाबीन के भाव में काफी गिरावट देखने को मिली है। राजस्व पर भी इसका काफी गहरा असर पड़ेगा सोयाबीन की आवक भी कम हो रही है ।नए सीजन पर आवक बढ़ेगी लेकिन भाव में अंतर नजर आ रहा है इसलिए मंडी का आज समांतर बनी रहेगी ।हालांकि प्लांटों ने जिस तरह से नए सोयाबीन की आवक की संभावनाओं के चलते कीमतों में गिरावट की है उससे कहीं ना कहीं किसानों को नुकसान झेलना पड़ रहा है और उन्हें मंडियों से भाव के मामले में निराशा हाथ लग रही है।

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