मध्यप्रदेश के इस जिले को मिली 800 करोड़ की सौगात, इतने युवाओं को मिलेगा रोजगार

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा हर वर्ग को राहत देने के लिए कई तरह की योजना चला रही है। इसके साथ ही कई जिलों में विकास कार्यों का भूमि पूजन के साथ ही लोकार्पण भी कर रहे हैं। बीते दिनों जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सीहोर जिले में विकास कार्यों का लोकार्पण किया था। वहीं शुक्रवार को उन्होंने धार जिले के बदनावर के समीप दोत्रिया में 800 करोड़ रुपए की लागत से बन रहे एंडयूराफैब की नवीन औद्योगिक इकाई का भूमि पूजन किया है। जिससे करीब 6000 लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। यह क्षेत्र में विकास के रूप में मील का पत्थर साबित होगा।

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इतने लोगों को मिलेगा इसमें रोजगार

बता दें कि धार जिले के बदनावर स्थित दोत्रिया में 800 करोड़ की लागत से एंडयूराफैब कि नवीन औद्योगिक इकाई स्थापित की जा रही है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वर्चुअल तरीके से एंडयूराफैब की नवीन औद्योगिक इकाई का भूमि पूजन किया है। इसके भूमि पूजन के बाद इसमें प्रदेश के 2000 लोगों को प्रत्यक्ष और 4000 लोगों का अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि तकनीकी वस्तुओं के उत्पादन प्लास्टिक रीसायकल के लिए एंडयूराफैब बदनावर में संयंत्र लगाए जा रहे हैं जो लोगों के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित होगा।

बता दें कि इस मौके पर औद्योगिक नीति एवं निवेशक मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव और विधायक नीना वर्मा मौजूद थे। वहीं प्रमुख सचिव औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन संजय शुक्ला मुख्यमंत्री निवास कार्यालय से सम्मिलित हुए थे। इस मौके पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश इस समय सभी क्षेत्रों में रिकॉर्ड बना रहा है। चावल, गेहूं के उत्पादन में उल्लेखनीय उपलब्धि अर्जित कर ली है। वहीं खाद्य प्रसंस्करण में विशेष स्थान दिया जा रहा है।

इसके साथ ही मध्य प्रदेश औद्योगिक विकास में रिकॉर्ड स्थापित करने के लिए आगे बढ़ रहा है। औद्योगिक क्षेत्र में 10000 करोड रुपए का अभी तक निर्यात किया गया है। वहीं बीते 3 महीने में 13 लाख 50000 युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ा गया है। प्रदेश को व्यवसायिक संबंध बनाने के लिए पीएम मोदी के संकल्प को साकार करने के लिए मध्यप्रदेश सरकार लगातार प्रयास कर रही है। दोत्रिया में इस संयंत्र जाने से करीब 36000 टन प्लास्टिक वेस्ट को मूल्यवान वस्तुओं में बदला जा सकेगा। वहीं इन वस्तुओं का निर्यात करने से हर साल करीब 400 करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा अर्जित होगी।

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