बेटी की परवरिश के लिए मां बनी आदमी!, सालों तक श्रृंगार को छोड़कर लुंगी शर्ट में किया गुजारा, जानिए एक मां की संघर्ष की कहानी

दुनिया में मां ही सबसे बड़ी योद्धा होती है जो अपने बच्चों की परवरिश अपनी जान से ज्यादा करती है। 9 महीने पेट में रखकर उसे दुनिया में लाने वाली मां ही होती है। ऐसी मां की सच्ची कहानी बता रहे हैं जिसने दुनिया के सामने ऐसी मिसाल पेश की है जिसके बारे में आप सोच भी नहीं सकते है। भारत एक पुरुष प्रधान देश है, जहां मां के आंचल के साथ पिता के कंधे की जरूरत होती है, लेकिन तमिलनाडु के थुथुकुड़ी जिले में एक माने अनूठी मिसाल पेश की है। जिसने अपनी बेटी को पालने के लिए और समाज से उसे बचाने के लिए 30 साल तक महिला की जगह पुरुष बन कर रही है। उसने अपने श्रृंगार को छोड़कर सिर्फ अपनी बेटी की परवरिश के लिए लूंगी और शर्ट पहन कर गुजारा किया है।

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20 साल की उम्र में हो गई थी विधवा

दरअसल थुथुकुड़ी जिले में रहने वाली पेचियाम्मल की कहानी काफी संघर्ष भरी है। जब वहां 20 साल की थी उस दौरान उनकी शादी हो गई थी, लेकिन किस्मत ऐसी थी कि 15 दिनों में ही उनके पति का निधन हो गया था। इसके बाद उनके ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था और उनके सामने पूरी जिंदगी पड़ी थी ।ऐसे में बेटी की परवरिश कैसे करें कुछ समझ नहीं आ रहा था, लेकिन जैसे—तैसे उन्होंने खुद को संभाला और अपनी बेटी की परवरिश में कुछ ऐसा कर दिया जो समाज के सामने मिसाल बनकर खड़ी है। उन्होंने अपनी महिला वाली पहचान छोड़कर पुरुष का भेष रख लिया और करीब 30 सालों तक इस भेष में अपनी बेटी की परवरिश करती रही, क्योंकि उसे अपनी बेटी की चिंता खाए जा रही थी। ऐसे में उसने इस विकल्प को चुनना ही सही समझा था।

चाय पराठे बेचकर किया गुजारा

जानकारी मिली है कि उनका असली नाम पेचियाम्मल है, लेकिन अगर उनके दस्तावेज खोजें तो उनका नाम मुथुकुमार है। यानी कि उन्होंने अपने श्रृंगार को छोड़कर एक पुरुष की तरह जिंदगी बिताई है। कई साल चेन्नई और थुथुकुड़ी जिले में होटल और ढाबे में काम करके समय गुजारा किया है। उन्होंने चाय और पराठे की दुकान लगाई लोग उन्हें मुथु मास्टर के नाम से जानते थे। हालांकि पुरुष बनने वाला संघर्ष उनका काफी कठिन था, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कठिन परिश्रम में इस तरह का काम किया है।

उनके लिए पुरुष बनना इतना आसान नहीं था। वहां बसों में पुरुष की सीटों पर बैठती थी। इसके साथ ही शौचालय भी पुरुष का इस्तेमाल करती थी। हालांकि इस दौरान उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था, लेकिन उनके आगे उनकी बेटी का भविष्य था। इसलिए उन्होंने संघर्ष में भी हार नहीं मानी और आज समाज ही नहीं बल्कि दुनिया में एक नई पहचान बनाई है और उन महिलाओं और पुरुषों को दिखा दिया है की महिलाएं भी किसी पुरुष से कम नहीं होती है वह जो चाहे कर सकती है।

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