160 साल के इतिहास में नयी पहल, सिंधिया के महल में रानी लक्ष्मीबाई की शौर्य गाथा

भारतीय इतिहास में आज का दिन एक बार फिर ऐतिहासिक रूप में दर्ज होगा। सिंधिया के जय विलास महल में महारानी लक्ष्मीबाई की एंट्री होने जा रही है। जय विलास पैलेस की नवनिर्मित हिस्टोरिकल गैलरी गांव सांचौर आज की में रानी लक्ष्मीबाई सहित देश के 300 मराठा राजाओं के सूर्य को प्रदर्शित प्रदर्शनी के द्वारा किया जाएगा। गैलरी में रानी लक्ष्मीबाई समेत पूरे परिवार की शौर्य गाथा शामिल की जा रही है। इसमें मारा अठारह राजघरानों की याद में ज्योति स्तंभ भी बनाए गए हैं। इस गैलरी का देश के गृह मंत्री अमित शाह द्वारा लोकार्पण किया गया है।

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160 साल तक रही सिंधिया परिवार से दूरियां

सिंधिया राजपरिवार के 160 साल तक रानी लक्ष्मी बाई के नाम से दूरियां रही है। अब जाकर 160 साल के इतिहास में सिंधिया परिवार के ज्योतिरादित्य ने दूरी को खत्म कर दिया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पहली रानी लक्ष्मीबाई समाधि पर जाकर नमन भी किया था। अब सिंधिया राजवंश के जयविलास पैलेस में रानी लक्ष्मीबाई की गौरवशाली इतिहास की झलक देखने को मिलेगी। सिंधिया शासकों पर 1857 की क्रांति में रानी लक्ष्मीबाई का साथ ना देने के आरोप भी लगाए गए थे।

ग्वालियर के प्रसिद्ध जय विलास महल के म्यूजियम में भारतीय मराठा साम्राज्य के संस्कृति विरासत देखने को मिलेगी। जयविलास पैलेस के म्यूजियम की कमान कुछ साल पहले केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शनी राजे ने संभाली थी तब से इसकी संस्कृति और ऐतिहासिक रूप में कायापलट हो रहा है। जय विलास पैलेस में कई आयोजन के बाद अब मराठा साम्राज्य इतिहास को संस्कृति में सहेजने की कमी की जा रही है। प्रियदर्शनी राजे ने मराठा गैलरी में ताना-बाना भी गुना और गाता स्वराज की गैलरी तैयार की थी।

160 साल के इतिहास में सिंधिया के महल में पहली बार झांसी की रानी की झलक देखने को मिलेगी। 1857 की क्रांति की नायिका रही रानी लक्ष्मी बाई के नाम से सिंधिया परिवार के 64 साल तक दूरियां रही। 1857 की क्रांति के दौरान रानी लक्ष्मीबाई का सहयोग न करने और अंग्रेजों से संपर्क के ऐतिहासिक आरोप लगते रहे, लेकिन ज्योतिराज सिंधिया ने 160 साल के बनाए तोड़ते रानी लक्ष्मी बाई समाधि पर जाकर नमन किया और पुष्पांजलि अर्पित भी की है।

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