प्लॉस्टिक बैन होने के बाद मिला अच्छा विकल्प, तिरुपति मंदिर में भुट्टे से बनी थैली में बंट रहा प्रसाद, जानिए खासियत

1 जुलाई से केंद्र की मोदी सरकार के द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगा दिया गया है जिसके बाद प्लास्टिक से बनी कैरी बैग समेत प्लास्टिक की प्लेट, दोना, पत्तल और चम्मच अब कुछ नहीं मिलेगा। ऐसे में अब दुकान वालों के सामने समस्या खड़ी हो गई है। इसके लिए सरकार कुछ ऐसा प्लान निकाल रही है ।इससे प्लास्टिक की कमियों को दूर किया जा सके। ऐसे में अब एक अच्छी खबर बता देते हैं जिसमें प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं किया गया है, बल्कि अब भुट्टे से तैयार की गई थैली का इस्तेमाल किया जा रहा है आइए जानते है।

google news

इस मंदिर में भुट्टे से बनी थैली में दे रहे प्रसाद

दरअसल प्लास्टिक बैन होने के बाद लोगों के सामने कई तरह की समस्या उत्पन्न हो गई है ।प्लास्टिक बैन सरकार ने प्रदूषण की रोकथाम को लेकर की है, लेकिन एक अच्छी खबर बता देते हैं। हैदराबाद स्थित कंपनी स्कॉलास्टिक प्लास्टिक प्रदूषण की रोकथाम के लिए 1 साल से काम कर रही है। इस कंपनी के द्वारा भुट्टे से थैलिया तैयार की जा रही है। इतना ही नहीं इन थैलियों का इस्तेमाल पिछले 9 महीने से आंध्रप्रदेश के तिरुपति हनुमान मंदिर में प्रसाद देने के लिए किया जा रहा है। कंपनी का दावा है कि इस तकनीक से विकसित भुट्टे की थैली के साथ ही कई वस्तु बनाई जा सकती है। खास बात यह है कि 6 महीने में मिट्टी में घुल जाएगी और यह सिंगल यूज़ प्लास्टिक के लिए अच्छा विकल्प है।

प्लास्टिक विकल्प मेले में देखने को मिली थैली

केंद्र की मोदी सरकार के द्वारा शुक्रवार को सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगा दिया गया है। ऐसे में प्लास्टिक से बनी प्लेट समेत कई ऐसी चीजें है जिनका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। शुक्रवार को त्याग राज स्टेडियम में दिल्ली सरकार द्वारा आयोजित तीन दिवसीय प्लास्टिक विकल्प मेले में हमें भुट्टे से तैयार की गई थैलिया देखने को मिली है।

कंपनी के एप्लीकेशन डेवलपमेंट स्पेशलिस्ट पी नरसिम्हा रेड्डी ने बताया कि भुट्टे को खाने के बाद बचे मटेरियल का पाउडर बनाया जाता है। वहीं उस पाउडर से दाने बनाए जाते हैं उन दानों को मशीन में डालकर उसके सिंगल यूज़ प्लास्टिक के विकल्प के लिए कई तरह की वस्तुएं बनाई जाती है। देशभर की नगर निगम कूड़ा उठाने के लिए भी इस तकनीक से तैयार हुई थैली का उपयोग कर सकती है। प्लास्टिक की जगह उपयोग होने वाली विभिन्न वस्तुओं को इससे तैयार की जा सकती है। रेडी की माने तो कंपनियां रा मटेरियल के तौर पर दोनों को 200 से 400 प्रति किलो खरीद कर उससे गिलास प्लेट या अन्य वस्तुओं को मैन्युफैक्चरिंग कर सकती है। 1 रुपये की लागत आएगी। वहीं थोड़ी बड़ी थैली और 4 रुपये डालने वाली थैली की लागत आएगी।

google news