मध्यप्रदेश में मिल रही गेहूं की अच्छी कीमत, लेकिन इसके बाद भी किसानों ने सड़क पर फेंके गेहूं, ये है बड़ी वजह

मध्य प्रदेश में इस समय किसानों को गेहूं के अच्छे दाम मिल रहे हैं। इसके बावजूद भी प्रदेश के किसान नाखुश नजर आए है, क्यों.. इसकी वजह है उनके गेहूं को अमानक बताकर रिजेक्ट किया जा रहा है।मामला अशोकनगर जिले का है, जहां किसान अपना गेहूं सरकारी गेहूं खरीद केंद्र पर लेकर पहुंचें, लेकिन खरीदी केंद्रों पर मौजूद अधिकारियों ने उसे अमानक बताकर रिजेक्टर कर दिया। इससे किसानों को गुस्सा फूट पड़ा और ट्रैक्टर ट्रॉली लेकर कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंच गए। इस दौरान उन्होंने ट्रैक्टर ट्रॉली में भरे गेहूं को कलेक्ट्रेट के सामने सड़क पर फैला दिए और जमकर प्रदर्शन किया। वहीं जैसे ही मामले की जानकारी प्रशासन को लगी तो हलचल मच गई।

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पुलिस और किसानों के बीच काफी कहासुनी

दरअसल किसान पहले ही अपने गेहूं नहीं बिकने की वजह से परेशान था। दूसरी तरफ पुलिस और किसानों के बीच काफी कहासुनी हो गई। इसके बाद मौके पर एसपी भी पहुंच गए उन्होंने किसानों को समझाइश देकर गेहूं भरने की बात कही। किसानों का कहना है कि गेहूं को सफेद बताकर खरीदी केंद्रों पर खरीदने से मना कर दिया था, लेकिन इससे पहले गेहूं के सफेद होने का मामला कभी सामने नहीं आया है। इस दौरान किसानों ने गेहूं खरीदी केंद्रों पर लगे अधिकारियों पर सांठगांठ के आरोप लगाए है।

उनका कहना है कि खरीदी केंद्रों पर जो अधिकारी नियुक्त किए गए हैं वहां गेहूं को सफेद बताने के साथ ही अमानक बताकर रिजेक्ट कर रहे हैं, लेकिन कई सालों से इस तरह का गेहूं खरीदा जा रहा है। इस मामले की जानकारी जैसे ही तहसीलदार रोहित रघुवंशी और खरीदी से जुड़े अधिकारियों को लगी तो वहां मौके पर पहुंचे और गेहूं को सैंपलिंग के लिए भेजा।

वहीं इस मामले में किसानों का कहना है कि एफसीआई गोदाम में जो गेहूं रखे गए हैं। उनकी क्वालिटी हमारे गेहूं से घटिया है। इनके द्वारा सोसाइटी और अधिकारियों के बीच कोई तालमेल नहीं होने की वजह से गेहूं को रिजेक्ट किया जा रहा है। बाहर हाल अभी तक मामला चल रहा है और गेहूं की जांच की जा रही है उसके बाद देखना यह होगा कि किसानों से गेहूं खरीदा जाता है या नहीं।

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