इंदौर ने अब इस मामले में मारी बाजी, ​बिजली को लेकर मुख्यमंत्री से की गई शिकायतें हल कर हुआ अव्वल

मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर ने स्वच्छता के बाद अब एक और उपलब्धि अपने नाम की है। दरअसल इस बार इंदौर में लोकल स्तर पर बिजली संबंधी समस्याओं के मामले में इस उपलब्धि को अपने नाम किया है। कई बिजली उपभोक्ताओं ने सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज करवाई। इन शिकायतों के निराकरण के लिए सभी अफसरों ने जीतोड़ मेहनत की तब कहीं जाकर इस मामले में इंदौर नंबर वन बना है। इंदौर शहर और ग्रामीण को मिलाकर 1600 से अधिक शिकायतों का निराकरण किया गया। वहीं मध्य प्रदेश के 10 शेष 2 जिलों में पश्चिम क्षेत्र बिजली वितरण कंपनी के 6 जिले शामिल है।

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देखिए शिर्ष 10 जिलों की सूची

इस समय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोगों की शिकायत के लिए सीएम हेल्पलाइन नंबर 181 जारी किया है। जिस पर लोगों की शिकायतों का निराकरण तुरंत हो जाता है। इसी का नतीजा है कि अब बिजली संबंधी शिकायतों का निराकरण इंदौर ने कर नंबर वन दर्जा प्राप्त किया है। शिर्ष 10 जिलों में पश्चिम क्षेत्र वितरण कंपनी इंदौर के 15 में से 6 जिले शामिल है। इस सूची में कंपनी क्षेत्र काली राजपुर को पहला स्थान प्राप्त हुआ है। वहीं दूसरा शाजापुर, तीसरा आगर, चौथा झाबुआ, छठा बड़वानी और 9वां बुरहानपुर को मिला है। 52 जिलों की सूची में खरगोन को 11वां, धार को 12वां, उज्जैन को 13वां स्थान प्राप्त हुआ है। इंदौर समेत छह अन्य जिले भी ए ग्रेड में आए हैं किसी भी जिले को बी ग्रेट नहीं मिला है।

हर दिन होता है 1 हजार शिकायतों का निराकरण

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा चलाई जा रही सीएम हेल्पलाइन नंबर पर तुरंत ही शिकायतों का निराकरण हो रहा है। इंदौर शहर और ग्रामीण को मिलाकर एक हजार से अधिक शिकायत रोजाना दर्ज होती है। इसका निराकरण कम से कम समय में करने का दावा कंपनी द्वारा किया जाता है। बिजली संबंधी शिकायत हल होने में 1 से 2 घंटे का वक्त लगता है। बारिश के दौरान यह समय और बढ़ जाता है कंपनी के काम करने की पोल खुल जाती है।

वहीं कंपनी के प्रबंध निदेशक अमित तोमर ने बताया कंपनी स्तर पर सीएम हेल्पलाइन में आने वाली शिकायतों का निराकरण करने की लगातार मानिटरिंग कर रही है। 15 जिलों में सीएम हेल्पलाइन शिकायत निवारण के बारे में सतत जानकारी ली जाती है। वहीं कठिन समय में इसका समाधान ढूंढने का प्रयास किया जाता है। आपसी असमंजस बढ़ाने और कर्मचारी अधिकारियों से सशक्त संवाद और ट्रेकिंग की वजह से पश्चिम क्षेत्र बिजली की स्थिति 3 महीने में सदा सुधर कर मध्य प्रदेश में सबसे अच्छी हुई है।

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