14 हजार 600 फीट ऊंचाई पर पर्वतरोही बना इंदौर का सीए, माइनस 7 डिग्री में हिमालयन पीक चौरीखांग पर फहराया तिरंगा

इंसान में साहस काबिलियत और अगर हौंसले बुलंद हो तो किसी भी काम को करने से पीछे नहीं रह सकते। इसी बीच अब मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर के रजत नाहर ने ट्रेकिंग और क्लाइंबिंग के लिए सबसे बड़ी चुनौती पूर्ण पहाड़ों में शामिल हिमालयन पीक चौरीखांग पर तिरंगा फहराया है। दरअसल इंदौर की सिटी बैंक में रजत पैसे से सीए हैं ।उन्होंने 14 हजार 600 फीट ऊंचे हिमालयन पीक चौरीखांग पर तिरंगा फहराया है जिसमें अलग-अलग राज्यों के 54 पर्वतरोही एक साथ गए थे, लेकिन इंदौर से सिर्फ रजत ही इस ग्रुप में शामिल थे। जिन्होंने इस सफलता को हासिल करते हुए पर्वतरोही बने हैं।

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काफी संघर्ष के बाद चोटी पर फराया तिरंगा

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रजत नाहर ने इसके लिए 1 महीने की ट्रेनिंग ली थी। तब जाकर इस सफलता को हासिल की है। उन्होंने खुद की पीठ पर 20 किलो वजन लादकर माइनस 60 डिग्री में चढ़ाई की है। हार्ड कंपकपाने वाली ठंड और ऑक्सीजन की कमी होती है। बारिश ना होने के बाद भी रेन सूट पहनना पड़ता है, लेकिन इन्होंने इस सफलता को अपने नाम किया है। दार्जिलिंग से हम योग सम गए जो पहले सिक्किम की राजधानी था फिर यहां से हिमालयन पीक चौरीखांग पहुंचने में 4 दिन लग गए। 8-9 दिन में हम चोटी के शिखर पर पहुंचे और वहां तिरंगा फहराया है।

बताया जा रहा है कि हिमालयन माउंटेनियरिंग एटीट्यूड से 58 लोग इस चढ़ाई के लिए गए थे। जिनमें 4 मेडिकल टेस्ट में इतनी ऊंचाई पर चढ़ाई नहीं कर पाए। जिन्हें वापस लौटना पड़ा। लेकिन बाकी 54 लोग शिखर तक पहुंच गए और 28 फरवरी से उनकी ट्रेनिंग शुरू हुई थी जिसमें उन्होंने चढ़ाई करना सीखा और आखिरकार रजत ने तिरंगा फहराकर पर्वतरोही बन गए हैं।

रजत ने जानकारी देते हुए कहा कि पहाड़ो की चढ़ाई में ठंड उनकी सबसे बड़ी विरोधी थी। खुद को गर्म रखने के लिए दो हैवी वुलंस पहनने के बजाय ऊनी कपड़ों की 56 लेयर्स पहनकर चढ़े थे। अगर वह ऐसा नहीं करते तो इतनी ठंड में उनके वुलंस गीले हो जाते और फिर ठंड लगती। काफी संघर्ष के बाद उन्होंने इस मुकाम को हासिल किया है जिनकी आज चारों और प्रशंसा हो रही है। हालांकि इससे पहले भी कई लोग पर्वतरोही बन चुके है।

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