राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने वाला पहला राज्य बना एमपी, मुख्यमंत्री ने मातृभाषा हिंदी को लेकर कहीं ये बड़ी बात, इन्हें मिलेगा लाभ

मध्य प्रदेश में शिक्षा नीति के साथ मातृभाषा को बढ़ावा देने के लिए कई तरह के प्रयास शिवराज सरकार के द्वारा किया जा रहा है। अभी तक देखा जाता था कि अगर कोई व्यक्ति विदेश जाता है तो उसे हिंदी बोलने में या कहें कि अपनी मातृभाषा बोलने में शर्म आती, क्योंकि लोगों को अंग्रेजी को लेकर इतना लगाव हो गया है कि वह अपनी मातृभाषा से दूर होता जा रहा है। इसी बीच केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की शिवराज सरकार ने देश में मातृभाषा हिंदी को बढ़ावा देने के लिए अब शिक्षण संस्थान में भी नई पहल शुरू कर दी है। जिसका अब विद्यार्थियों को लाभ तो मिलेगा ही साथ ही मातृभाषा को बढ़ावा भी दिया जाएगा।

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प्रदेश में शुरू करे हिंदी में एमबीबीएस

मध्यप्रदेश में हिंदी भाषा में अब एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू हो रही है इसकी घोषणा बीते दिनों मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की थी। जिसमें हिंदी में चिकित्सा प्रदान करने वाला मध्यप्रदेश पहला राज्य बनने जा रहा है। बता दें कि इस समय मध्य प्रदेश के पंचमढ़ी में हिलस्टेशन में शिवराज सरकार का चिंतन शिविर लगा हुआ है। इसके दूसरे दिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बड़ी घोषणा की है ।उन्होंने कहा कि अब मध्य प्रदेश में एमबीबीएस पाठ्यक्रमों की शिक्षा हिंदी में देना शुरू कर दें और मध्यम आय वाले परिवारों के विद्यार्थियों को लाभान्वित करेगा।

इन योजनाओं को फिर से किया शुरू

चिंतन शिविर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में शुरू किया गया है। इसके दूसरे दिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हिंदी आधारित एमबीबीएस शिक्षा के लिए सामग्री तैयार कर रहे हैं और हिंदी आधारित प्रणाली इसी साल से शुरू हो जाएगी ।जिसमें हिंदी माध्यम की समान इंजीनियरिंग शिक्षा और अन्य व्यवसायिक डिग्री के समान संरचना पर कार्य किया जाएगा। इसके साथ ही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश में कई तरह की योजना शुरू करने की घोषणा की है। इसमें लाडली लक्ष्मी योजना, मुख्यमंत्री कन्यादान विवाह योजना, समेत कई योजनाएं शामिल है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना 21 अप्रैल से नए प्रारूप में शुरू की जाएगी जो लाडली लक्ष्मी योजना के साथ मिलकर 2 मई से शुरू होगी।

हिंदी में कराई जायेगी एमबीबीएस की पढ़ाई

मुख्यमंत्री ने कैबिनेट बैठक के दौरान कहा कि जब दूसरे देश में अपनी भाषा में व्यवसायिक अध्ययन कराया जा रहा है तो हम अंग्रेजों के गुलाम क्यों बने हुए हैं। जबकि हमारी मातृभाषा हिंदी है और इसमें हमें शिक्षण शुरू करवाना चाहिए। ऐसे में अब विद्यार्थियों को एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी में कराई जाएगी, क्योंकि निम्न वर्ग के छात्रों को इससे मदद मिलेगी अभी तक देखा जाता है कि अंग्रेजी कई विद्यार्थियों को नहीं आती है जिससे उन्हें पाठ्यक्रम में काफी परेशानियों से जूझना पड़ता है। ऐसे में अब सरकार ने उनकी परेशानियों को देखते हुए इस तरह का फैसला लिया है जिससे गांव में निवास करने वाले विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा।

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बता दें कि मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने जिस तरह की यह पहल शुरू की है यहां आने वाले समय में दूसरे राज्यों को भी अपनाना होगा । मातृभाषा का प्रयोग हर क्षेत्र में किया जाना चाहिए क्योंकि ग्रामीण और साधन विहीन बच्चे अंग्रेजी में रहने की वजह से मेडिकल की पढ़ाई नहीं कर पाते हैं, लेकिन अब उन्हें हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई कराई कराई जाएगी जिससे बच्चों का भविष्य उज्जवल बन सकेगा।