मध्यप्रदेश महंगे हो जायेंगे दाल-चावल, जीएसटी लागू होने के बाद मिलों ने रोक दिए आर्डर और आपूर्ति, जानिए क्या है प्लान

केंद्र कि मोदी सरकार के द्वारा 18 जुलाई से पैकेट वाले खाद्यान्न व अन्य खाद्य वस्तुओं पर जीएसटी लागू कर दी गई है। जिसके बाद आम जनता को एक बार फिर महंगाई का बड़ा झटका लगा है ।सरकार ने इन चीजों पर जीएसटी बढ़ा दी है जिसकी वजह से लोगों को अधिक रुपए खर्च करना पड़ेंगे। इसी बीच मध्यप्रदेश में जल्दी ही दाल और चावल महंगे होने वाले हैं। जीएसटी लागू होने के बाद जिस तरह की परिस्थिति सामने आई है ।उसके बाद चावल और दाल के आर्डर व आपूर्ति पर रोक भी लगा दी गई है।

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दाल और चावल मिलों ने रोका कारोबार

जानकारी मिली है कि दाल और चावल मिलों की ओर से कारोबार रोक दिया गया है। उन्होंने फिलहाल आर्डर बुक करना और आपूर्ति रोक दी गई है। जिससे खुदरा बाजार में काफी परेशानी देखने को मिल रही है। वहीं सरकार के द्वारा पैकेट वाले खाद्यान्न और अन्य खाद्यान्नों पर जीएसटी लागू कर दी है। इसके विरोध में 16 जुलाई को देश भर की तरह मध्यप्रदेश के खाद्यान्न कारोबारियों ने भी व्यापार बंद रख कर हड़ताल की थी। दाल, चावल, आटा मिलों के मालिक और थोक कारोबारी इसके विरोध में कई रणनीति बना रहे हैं ।खाद्यान्न व अन्य खाद्य वस्तुओं के दाम अधिक हो गए हैं।

19-20 जुलाई को होगी वचुर्अली बैठक

मध्य प्रदेश अनाज दलहन व्यापारी एसोसिएशन और ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के पदाधिकारियों की मानें तो 1 दिन की सांकेतिक हड़ताल के बाद व्यापारी विरोध का दूसरा चरण शुरू करने की रणनीति बना रहे हैं ।इसके साथ ही 19 और 20 जुलाई को देशभर के व्यापारिक संगठनों के अध्यक्ष होने वाली बैठक बुलाई है। जिसमें तय किया जाएगा कि आगे आंदोलन किस तरह से जारी रखेंगे। बता दें कि जैसे ही इन प्रोडक्ट पर जीएसटी लागू की गई है। उसके बाद से ही ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने दाल और चावल मिलों की ओर से आ देना ही बंद कर दिया है।

सरकार की तरफ से जीएसटी बनाने के बाद बताया गया कि5 किलो व ज्यादा वजन के पैक पर जीएसटी नहीं लगेगा लेकिन ई-वे बिल तो लागू होगा ही। जीएसटी के प्रावधान और ई-वे बिल की औपचारिकता भी कारोबारियों के लिए परेशानी बनी हुई है। ऐसे में कारोबारियों के सामने व्यापार रोकने के अलावा और किसी भी तरह का कोई विकल्प नहीं बचा है। एक-दो दिन में बैठक के बाद राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन खड़ा किए जाने की तैयारी की जा रही है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस मामले में किस तरह का फैसला लेती है।

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