रेलवे ने तैयार किया देश का पहला फायर फाइटर, 170 साल बाद एमपी के इस जिले में हुई शुरुआत
रेलवे के द्वारा यात्रियों की सुविधा के साथ कई तरह के सुधार कार्य किए जा रहे हैं। जिससे यात्रियों को अच्छी सुविधा मिल सके। भारतीय रेलवे ने कई कीर्तिमान रचे हैं और देश के विकास में अहम योगदान भी दिया है। अभी तक रेलवे के पास अपना खुद का फायर फाइटर नहीं था। ऐसे में अब देश का पहला रेलवे फायर फाइटर बनकर तैयार हो गया है। इस रेलवे फायर फाइटर को मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में बनाकर तैयार किया गया है जिससे आने वाले समय में रेलवे को काफी फायदा होने वाला है।
देश में भारतीय रेलवे की शुरुआत करीब 170 साल पहले हुई थी इसके बाद से भारतीय रेलवे ने कई कीर्तिमान रचने के साथ ही कई तरह के विकास किए है। भारतीय रेलवे समय-समय पर कई तरह के सुधार कार्य कर रहा है जिसमें यात्रियों को लाभ मिल सके। इसी बीच भारतीय रेलवे ने पहला रेलवे फायर फाइटर बनाया है जिससे आगामी समय में काफी फायदा होने वाला है। बता दें कि इसे बैतूल जिले के आमला में रेलवे कर्मियों के द्वारा तैयार किया गया जिसमें ज्यादा खर्च भी नहीं आया है।
इस जिले में तैयार हुआ फायर फाइटर
बैतूल जिले के आमला में रेल कर्मियों के द्वारा देश का पहला फायर फाइटर बनाया गया है। इस रेलवे फाइटर को तैयार हजार रुपए के खर्च में आमला सेक्शन में सीनियर बीके सूर्यवंशी ने किया है। यह रेलवे फायर फाइटर दुर्घटनाओं के समय काफी काम आने वाला है। इस फायर फाइटर को अग्निशमन यंत्र आदित्य प्रकल्प नाम दिया गया है। इस फायर फाइटर को ट्रेन के अंदर ही तैयार किया गया है जो किसी भी दुर्घटना के समय उसे रोकने में काफी फायदेमंद साबित होगा।
रेलवे पहले रहता था इन चीजों पर निर्भर
बता दें कि अभी तक भारतीय रेलवे के पास खुद का रेलवे फायर फाइटर नहीं था। जिससे आग लगने की घटना के वक्त पारंपरिक तरीकों से पानी की बाल्टी रेत की बाल्टी और 10 लीटर होम लिक्विड वाले अग्निशमन संसाधन रखते थे, लेकिन अब इस तरह की स्थिति से निपटने के लिए रेलवे ने अपना खुद का फायर फाइटर तैयार कर लिया है। अगर पहले रेलवे में आग की घटना हो जाती थी तो रेलवे राज्य सरकार अग्निशाम संसाधनों के फायर ब्रिगेड के द्वारा आग पर काबू पाया जाता था।
इस तरह काम करेगा रेलवे फायर फाइटर
लेकिन अब 1000 लीटर पानी के फोम टाइप फायर एक्सटिंगवशर तैयार किया है। जो जनरेटर की मदद से पानी और फ्रॉम लिक्विड को 3 इंच के पाइप की मदद से आग की घटनाओं पर काबू पाएगा। यहां आने वाले समय में आग की घटनाओं पर फाइटर की तरह काम करेगा और किसी भी वक्त रेल में अगर घटना होती है तो उसे रोकने में मील का पत्थर साबित होगा।
दरअसल अगर किसी भी वक्त यात्री गाड़ी या फिर मालगाड़ी में आग लगती है तो यहां 105 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पहुंच कर आग को काबू कर सकती है। आमला स्टेशन पर बैक डाउन यूनिट है इसमें एक यूनिट तीन कोच के साथ सेल्फ प्रोपेल्ड है जो कारगर साबित होगी।