देश में सरकारी बैंकों के विलय की तैयारी में सरकार, भविष्य में रह जायेगी केवल चार या पांच बैंक, ये रही लिस्ट

देश में लगातार सरकारी बैंकों की संख्या घटती जा रही है। अगर ऐसा ही होता रहा तो भविष्य में सरकारी बैंकों की संख्या सिर्फ चार से पांच ही रह जाएगी। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि सरकारी बैंक प्राइवेट होती जा रही है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो केंद्र की मोदी सरकार के द्वारा जल्दी ही सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों के प्राइवेट के अगले दौर की शुरुआत कर सकती है। जिसके बाद अब सरकारी बैंकों की संख्या घट जाएगी। ऐसे में अगर आप सरकारी बैंक में नौकरी करने का सपना देख रहे हैं तो यह साकार नहीं होगा, क्योंकि अब सरकारी बैंक ही प्राइवेट हो जाएगी।

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सरकारी बैंक हो रही निजीकरण

दरअसल इस समय देखा जाता है कि सरकारी बैंक की संख्या अधिक हो गई है। कई जगह सरकारी छोटी बैंक के खुल गई है, लेकिन अब केंद्र की मोदी सरकार इन बैंकों को मिलाकर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की तरह चार से पांच बैंक को को स्थापित करना है जिससे सरकारी बैंक एक मजबूत स्थिति में रहे। वर्तमान में देखा जाता है कि कई सार्वजनिक क्षेत्र के 7 बड़े और पांच छोटे बैंक मौजूद है, लेकिन अब इन बैंकों को प्राइवेट करने की योजना पर काम किया जा रहा है। सरकार के द्वारा इन्हें निजीकरण हाथों में सौंपने के लिए इन से जवाब मांगा है। अगर यह राजी होते हैं तो सरकार भारतीय बैंक संघ के साथ विचार विमर्श करेगी।

12 रह गई सरकारी बैंकों की संख्या

दरअसल 2019 की बात करें तो 10 राष्ट्रीयकृत बैंकों के चार बड़े ऋण दाता बैंकों में प्राइवेट करने की घोषणा कर चुके हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या घटकर अब 12 पर पहुंच गई थी। जबकि 2017 में सरकारी बैंकों की संख्या 43 थी। बैंकों का विलय 2020 से प्रभावी हुआ था। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण पर नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकोनामिक रिसर्च की रिपोर्ट में बताया कि एसबीआई को छोड़कर सभी सरकारी बैंकों का निजीकरण किया जाएगा। रिपोर्ट ने बताया कि पिछले दशक के दौरान अधिकतर सरकारी बैंकों का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है। इस वजह से यह बैंक निजी बैंकों से बिछड़ गए हैं निजी क्षेत्र के बैंकों के मुकाबले इनकी कमाई कई अधिकतम रही है।

संसद में जल्दी करेंगे विधेयक पेश

हालांकि अब इन बैंकों को जल्दी ही निजी करण हाथों में सौंप दिया जाएगा। कुछ बैंकों ने पिछले साल सभी प्रमुख संकेतों पर अच्छा प्रदर्शन किया है ।वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि कुछ बैंकों का मुनाफा भी बढ़कर दोगुना हो गया है। सरकारी बैंकों के निजीकरण के लिए जल्दी ही संसद में एक विधेयक पेश कर दिया जाएगा। बैंकों के निजीकरण को सरकार उनके संचालन से पूरी तरह बाहर निकाल सकती है। यानी कि आप बहुत जल्द सरकारी बैंक निजी हाथों में चले जाएंगे और आगामी समय में सरकारी बैंकों की संख्या सिर्फ चार से पांच तक रह जाएगी।

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