बिकने वाली हैं ये बड़े सरकारी बैंक, सरकार ने की खास तैयारी, इसमें आपका है अकाउंट तो जल्दी करें ये काम!
भारत में निजीकरण की मांग तेजी से बढ़ रही है। एक तरफ मोदी सरकार के द्वारा रेलवे और अन्य चीजों को निजी हाथों में सौंपने की बात कही जा रही है। इसी बीच अब एक और खबर सामने आई है। जिससे कुछ लोगों को नुकसान झेलना पड़ सकता है। जानकारी मिली है कि देश की दो सरकारी बैंक जल्दी ही प्राइवेट हो सकती है। इसकी बोलियां अब कई कंपनियों के द्वारा लगना शुरू हो गई है। सूत्रों के मुताबिक मिली जानकारी के अनुसार सितंबर तक इन बैंकों का निजीकरण को हाथों में सौंप दिया जाएगा। वहीं दूसरी ओर सरकारी कर्मचारी भी इसके विरोध में लगातार हड़ताल कर रहे हैं।
सरकार ने निजीकरण की पूरी की तैयारी
दरअसल सरकार के द्वारा बैंकों को निजीकरण हाथों में सौंपने को लेकर इसके खिलाफ और सरकारी कर्मचारी भी लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स से मिली जानकारी के अनुसार 2 सरकारी अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि इन बड़े बदलावों की तैयारी पूरी हो चुकी है। वहीं कैबिनेट की मंजूरी में कुछ समय लग सकता है। सरकार का लक्ष्य है कि सितंबर तक कम से कम एक बैंक का निजीकरण सुनिश्चित करना है। इसके साथ ही पीएसयू बैंकों में विदेशी स्वामित्व पर 20% की सीमा को हटाने के लिए तैयार है।
दरअसल इन बैंकों के निजीकरण का रास्ता साफ हो चुका है। इसी को ध्यान में रखते हुए अगले महीने शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र में बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक लाने की तैयारी की जा रही है। इसके बाद इन बैंकों के निजीकरण का काम भी तेज हो जाएगा। इसके साथ ही दोनों में अपनी 51% की हिस्सेदारी को घटाकर 56% पर लाने की विचार किया जा रहा हैं। इस पर तब भी आगे बढ़ाया जाएगा जब बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक पास होगा।
जानिए कौन सी बैंक होगी प्राइवेट
बता दें कि सरकार ने 2 सरकारी बैंकों को प्राइवेट करने के लिए तैयारी पूरी कर ली है, जल्द ही इन्हें निजीकरण किया जाएगा। विधेयक की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। विनिवेश पर मंत्रियों का समूह निजी करण के लिए बैंकों के नाम को अंतिम रूप देगा। इसके लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए आईडीबीआई बैंक के साथ सार्वजनिक क्षेत्र के 2 बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी। जानकारी मिली है कि सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक को निजीकरण के हाथों में सौंपा जाएगा। जानकारी मिली है कि इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया दो ऐसे बैंक है जिन्हें पहले निजीकरण किया जाना है।
बहरहाल अगर ऐसा होता है तो सरकारी बैंक प्राइवेट हो जाएगी और इसका नुकसान सरकारी कर्मचारियों को भुगतना पड़ सकता है। सरकारी कर्मचारी कई दिनों से बैंक को निजीकरण करने के विरोध में उतरे हुए हैं और लगातार विरोधी सुर उगल रहे हैं। अब देखना यह होगा कि सरकार कब तक इन बैंकों को निजीकरण हाथों में सौंपती है।