रोल मॉडल बना मध्यप्रदेश का ये जिला, महंगाई के दौर में इस गांव में गोबर गैस पर बन रही रोटिया

देश में बढ़ती महंगाई ने आम व्यक्ति की कमर तोड़ कर रख दी है, जहां एक और गैस सिलेंडर के दाम 1 हजार के करीब पहुंच गए हैं जिससे हर व्यक्ति परेशान हैं। बढ़ती महंगाई के बीच मध्य प्रदेश का एक ऐसा जिला है जिसने रोल मॉडल के रूप में अपना वर्चस्व बनाया है। छिंदवाड़ा जिले का सौसर ब्लॉक का भूस्मा गांव जहां 120 परिवार रहते हैं। बता दें कि ये ऐसा गांव है जहां के ग्रामीणों को गैस सिलेंडर की जरूरत भी नहीं पड़ती और ना ही यहां के लोग लकड़ी का उपयोग करते हैं यहां का हार घर एक मिसाल पेश कर रहा है।

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इस गांव में हर घर में गैस सिलेंडर की जगह गोबर गैस प्लांट लगा है, इतना ही नहीं इस गांव में जैविक खेती भी की जा रही है। इस गांव में रहने वाले एक किसान सुदामा कहना है कि 15 साल पहले मटरू लाल डोंगरे ने गोबर गैस प्लांट लगवाया। इसके बाद इतना ही नहीं इस गांव के किसान रासायनिक खेती से ज्यादा जैविक खेती में विश्वास रखते हैं और अब आलम यह है कि हर गांव का किसान यहां जैविक खेती करता है। वहीं इस गांव में सबसे ज्यादा हल्दी की खेती की जाती है जो बालाघाट समेत मध्य प्रदेश के कई दूसरे जिलों में सप्लाई की जाती है।

धुएं से महिलाओं को मिली निजात

बता दें कि इस गांव में 400 एकड़ जमीन में किसान खेती कर रहे हैं। करीब 3 साल तक पूरी जमीन को जैविक खेती वाला बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इस हल्दी की हैदराबाद की लैब में जांच भी हो चुकी है। जैविक खेती का पंजीयन भी पीजीएस ग्रीन इंडिया से मिल चुका है। किसानों की माने तो पहले यहां पर जंगलों में जाकर लकड़िया लेकर आते थे और चूल्हे जलाए जाते थे तब जाकर कहीं उन्हें रोटियां नसीब होती थी, लेकिन जब से पर्यावरण सुरक्षा को लेकर पेड़ों की कटाई पर लगे प्रतिबंध के बाद इन ग्रामीणों की मुसीबत बढ़ गई थी। वहीं महिलाओं को भी लकड़ी से खाना बनाने में धुएं का सामना करना पड़ता था इसके बाद इन्होंने धीरे धीरे कर गोबर गैस प्लांट लगाने का प्लान बनाया और आज यह प्लांट हर घर में है।

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हल्दी की खेती को प्राथमिकता

आपको बता दें कि इन ग्रामीणों के द्वारा रासायनिक खेती को छोड़ जैविक खेती में ज्यादा विश्वास किया है और आज आलम यह है की हल्दी की खेती को यहां ज्यादा प्राथमिकता दी जा रही है। बाकी फसलों को जैविक खेती के तहत रजिस्टर्ड कराएंगे। वरिष्ठ कृषि अधिकारी जीव थोड़े ने बताया कि इस गांव के किसान काफी मेहनती हैं इस हल्दी की तारीफ मध्यप्रदेश में दूर-दूर तक हो रही है।