संत रविदास महाराज की जयंती आज, श्रद्धांजलि देने के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज हुए भावुक, ब्लॉक में लिखी ये बड़ी बात

देशभर में बुधवार को संत रविदास महाराज की जयंती मनाई जा रही है। संत रविदास की जयंती पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महाराज को नमन करते हुए भावुक हो गए। सीएम शिवराज ने अपने ट्वीट कर भजन की पंक्तियों के अनुसार श्रद्धांजलि अर्पित की इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने ब्लॉक लिखकर संत रविदास को याद करते हुए कई तरह की बातों से उनके जीवन पर प्रकाश डाला।

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संत रविदास को सीएम ने दी श्रद्धां​जलि

दरअसल मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कोरोना पॉजिटिव होने की वजह से घर में आइसोलेट है। इसी वजह से प्रदेश भर में होने वाले कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान वर्चुअल जुड़ेंगे। मुख्यमंत्री ने संत रविदास जी को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी उन्होंने अपने क्यूट में संत शिरोमणि दास जी को लेकर लिखा कि उन्होंने सौहार्द और समानता की पहचान अपने विचारों के माध्यम से समाज का उद्धार किया है उनके विचारों के दिव्य लोक से ही समाज व राष्ट्र का कल्याण होगा।

सीएम शिवराज ने लिखा ये ब्लॉक

आकाश में व्याप्त अंधकार का हरण करने के लिए सूर्य और चंद्र अपनी आभा बिखेरते हैं और समाज में व्याप्त कुरीतियों के तमस का अंत करने के लिए संत रविदासजी महाराज जैसे महापुरुषों का अवतरण होता है। अज्ञान के अंधकार को नष्ट करने के लिए और जन-पीड़ा की अमावस्या को तिरोहित करने के लिए ही संवत् 1433 की माघी पूर्णिमा को ज्ञान, तप और वैराग्य की शाश्वत भूमि काशी में रविदासजी के रूप में एक ऐसी महान दैवीय शक्ति ने शरीर धारण किया था, जिन्होंने सद्भाव से रहने, सभी प्रकार के भेद का विनाश करने, सबके भले की शिक्षा देने और सामाजिक समरसता के दिव्य नाद का उद्घोष करने का महान कार्य किया। यद्यपि वे सुसंपन्न चर्म-शिल्पी परिवार में अवतरित हुए थे, लेकिन महात्मा कबीर की प्रेरणा से स्वामी रामानंदजी महाराज को अपना गुरु बनाकर, उन्होंने दिव्य आध्यात्मिक ज्ञान अर्जित किया। ‘संत समागम, हरि कथा, तुलसी दुर्लभ दोय‘ के अनुरूप बाल्य-काल से ही रविदासजी साधु-संतों की दुर्लभ संगति का अमृत पान करते रहे थे।

संत सेवा के साथ-साथ दीन-दुखियों, गरीबों और असहायों की सेवा में उन्होंने अद्भुत आनंद प्राप्त किया और मधुर व्यवहार तथा समयबद्ध जीवन की अनुशासित प्रवृत्ति के कारण साधु-संतों का आशीर्वाद भी प्राप्त किया। उनका अवतरण ऐसे समय में हुआ था, जब समाज में असमानता की भावना, जाति, पंथ और संप्रदाय की जटिल परिस्थितियाँ थीं, विधर्मियों के आक्रमण का समय था और भारतीय परंपराओं पर लगातार कुठाराघात किया जा रहा था। ऐसे समय में उन्होंने अपने वचनों से विश्व एकता और समरसता पर विशेष बल दिया। उनके मधुर, तत्वपूर्ण, सहज और सरल वचन अध्यात्म की गहराइयों के साथ-साथ जीवन के यथार्थ से जुड़े हुए थे।

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वे औपचारिक शिक्षा से रहित थे लेकिन विद्या, ज्ञान और भक्ति के मामले में वे ‘संत समाज सुमेरू‘ के समान थे। उनका निराकार ब्रह्म घट-घट वासी था और उनकी व्यापक दृष्टि सामाजिक सौहार्द की प्रतीक थी। उनकी समदर्शिता पर देश के अनेक विश्वविद्यालयों में शोध हुए हैं। उनके जैसे संत इस लोक के महानायक हैं, वे हमारी विरासत के पुरोधा हैं। उनके उपदेश सार्वदेशिक, सर्वकालिक और सार्वभौमिक हैं। ऐसे दिव्य महात्मा के श्री चरणों में कोटिषः

नमन। आपका शिवराज