ये है बिना हाथ वाले देश के पहले कार लायसेंस होल्डर, जिनकी हड्डी गल गई, गंवाए दोनों हाथ पर नहीं खोया हौंसला, जानें संघर्ष

इस दुनिया में कई तरह के इंसान होते हैं और उनमें टैलेंट की कमी नहीं होती है। वहां कितने भी मुसीबत में क्यों ना पड़ जाए, लेकिन उनके हौंसले में इतना दम होता है कि वह हर काम को संभव बना देते हैं। ऐसे में हम आपको मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर के एक ऐसे शख्स से मिलवाने जा रहे हैं जिनके साथ 7 साल की उम्र में ऐसा हादसा हुआ कि वहां अपने दोनों हाथ गंवा बैठे थे, लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने अपना हौंसला नहीं खोया। दरअसल हम बात कर रहे हैं विक्रम अग्निहोत्री की, जिनके हाईटेंशन तार के संपर्क में आने से दोनों हाथ झुलस गए थे। हादसे के बाद अपनी मां और भाई के बलबूते खुद को हर तरह से आत्मनिर्भर बना लिया और अब वहां फुटबॉल खेलते हैं स्केटिंग करते हैं अच्छे तैराक भी हैं।

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2015 से बिना हाथ के कार चला रहे विक्रम

दरअसल बिना हाथ के विक्रम अग्निहोत्री अच्छे से ड्राइव भी कर लेते हैं। 2016 में वहां भारत के पहले बिना हाथ वाले कार लाइसेंस होल्डर बन गए थे। इतना ही नहीं उनका नाम लिम्का रिकॉर्ड में भी दर्ज हो गया है। विक्रम अग्निहोत्री हर काम को खुद करते हैं। शेविंग खुद करते हैं स्केटिंग भी करते हैं। 2015 से कार भी चला रहे हैं। बता दें कि इनके पिता एक पुलिस ऑफिसर है जिन्हों इन्हें काफी मोटिवेट किया। वहीं उनके भाई और मां का भी इनकी जिंदगी में काफी अहम रोल रहा है।

विक्रम ने 1 महीने में कार चलाना सीखी

विक्रम अग्निहोत्री का कहना है कि इस हादसे के बाद उनके दोनों हाथ जल गए ।हड्डियां गल गई लेकिन इसके बावजूद भी उनका हौंसला कायम रहा। मां ने उनके हौंसले को कभी नहीं हारने दिया और हमेशा प्रेरित करती रही। विक्रम बताते हैं कि जब उन्हें कहीं भी जाना होता था तो या तो उन्हें ड्राइवर या फिर फ्रेंड पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन इसके बाद उनके मन में खुद ड्राइव करने का विचार आया और उन्होंने ड्राइव करना सीखा, लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी समस्या ड्राइविंग लाइसेंस की थी। उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस नहीं मिल पा रहा था। 2015 में उन्होंने ऑटोमेटिक कार खरीदी 1 महीने में कार चलाना सीखे। फिर लर्निंग लाइसेंस के लिए आरटीओ पहुंचे। इसके बाद मैंने आरटीओ साहब को कार में बैठाकर कार चलाई तो वहां समझ गए कि इन्हें कार चलाना आती इसके बाद लर्निंग लाइसेंस दे दिया गया।

2016 में बने बिना हाथ वाले कार लाइसेंस होल्डर

विक्रम का कहना है कि उन्हें लाइसेंस लेने में काफी समस्या आ रही थी। जब उनकी मुलाकात केंद्रीय सड़क परिवहन नितिन गडकरी से हुई उन्होंने अपनी सारी समस्याएं उनके सामने रखी। 2016 में नियमों में अमेंडमेंट हुआ। इसके बाद पहला लाइसेंस उन्हें मिला। ऐसे में विक्रम अग्निहोत्री देश के पहले बिना हाथों वाले कार लाइसेंस होल्डर बन गए थे ।वही इनका नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज हो गया था।

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