मध्यप्रदेश में बनेगा 2 हजार करोड़ का लेदर पार्क, बेरोजगार युवाओं को मिलेंगी बंपर नौकरियां, इन जिलों को मिलेगा लाभ

मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार के द्वारा प्रदेश में रोजगार बढ़ाने के लिए कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। अब जानकारी मिली है कि जल्दी ही प्रदेश में 1 मेगा लेदर पार्क बनाया जाएगा ।इसके लिए सरकार की तरफ से 100 यूनिट्स को जमीन दी जाएगी। इस पार्क में हजारों करोड रुपए का निवेश किया जाएगा। जिससे बेरोजगारों और अप्रत्यक्ष नौकरियां मिलने के साथ ही हजारों अन्य रोजगार भी माहिया कराए जाएंगे। इस समय देखा जाता है कि प्रदेश में कई युवा बेरोजगार हैं ऐसे में इन्हें नौकरी मिल जाएगी।

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2 हजार करोड़ के लेदर पार्क में मिलेगा रोजगार

मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार के द्वारा लेदर पार्क के लिए इन जगहों पर जमीन तलाश की जा रही है, जिसमें ग्वालियर जिले के बानमोर औद्योगिक क्षेत्र के सीतापुर, देवास जिले के मक्सी में पिपलिया और रतलाम के पास जमीन तलाशी जा रही है। ऐसे में संभावना है कि यहां पर लेदर पार्क बनाया जाएगा। यह लेदर पार्क 250 एकड़ के क्षेत्र में बन सकता है। इसमें 2000 करोड रुपए से अधिक के निवेश किए जाने की संभावना है। इसलिए लेदर पार्क में 25000 प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रोजगार भी उपलब्ध करवाए जाएंगे।

इन राज्यों में है अभी लेदर कंपनियां

दरअसल केंद्र की बीजेपी के द्वारा लेदर पार्क के लिए विशेष इंसेंटिव स्कीम लेकर आ रही है। जिसके तहत वेदर पार को इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए अधिकतम 120 करोड रुपए की केंद्र मदद किए जाने का प्रावधान है। सरकार ने अपना औपचारिक प्रस्ताव तैयार कर लिया है। इसे जरूरी संशोधन के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने पेश किया जाएगा। इसके बाद केंद्र सरकार को भेज दिया जाएगा ।लेदर इंडस्ट्री में चमड़े से अब महज 5 से 10 ही जूते चप्पल बनाए जा रहे हैं। विभागीय सूत्रों के अनुसार देश में इस समय ज्यादातर लेदर कंपनियां उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु में ही है। ऐसे में अब जल्दी ही मध्यप्रदेश में भी आ सकती है।

उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु की बात करें तो यहां पर लेदर कंपनी है जो मध्य प्रदेश में होने के कारण देश में जूते चप्पल की सप्लाई बहुत बेहतर ढंग से कर सकते हैं ।यहीं वजह है कि मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने टेक्सटाइल पॉलिसी की तर्ज पर बेहतर और उदार लेदर पॉलिसी बनाई है। उल्लेखनीय है कि लेदर इंडस्ट्री में चमड़े से अब मैच 5 से 10 ही जूते चप्पल बनाए जा रहे हैं जबकि प्लास्टिक का उपयोग बढ़ गया है। राज्य सरकार भी इन उद्योगों को ही प्राथमिकता देगी और चमड़े का उपयोग कम कर रही है।

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