मध्यप्रदेश के इस कपल की अनोखी कहानी, करोड़ों की जॉब छोड़कर अब खेती पर फोकस, ये है बड़ी वजह
मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले से एक कपल की अनोखी कहानी इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। दरअसल अर्पित और साक्षी दोनों उज्जैन जिले में रहते हैं और उन्होंने आईआईटी मुंबई से कंप्यूटर इंजीनियर में ग्रेजुएशन किया और प्री एग्जाम में आल इंडिया में सेकंड रैंक भी थी। इसके बाद दोनों को आईटी सेक्टर में करोड़ों की नौकरी मिल गई थी, लेकिन इसके बावजूद नौकरी छोड़कर खेती-बाड़ी का रास्ता चुना और आज दोनों उज्जैन में डेढ़ एकड़ जमीन खरीद कर पर्माकल्चर फार्मिंग कर रहे हैं। बता दें कि अर्पित और पत्नी साक्षी माहेश्वरी दोनों फल सब्जियां दालें और अनाज अपने खेतों में उगा रहे हैं। इसी प्रकार उन्होंने अभी तक 75 प्रकार के पौधे लगाए हैं। इनमें कई फलदार पौधे हैं जिनमें सीताफल, पपीता, केला, संतरा, समेत कई वृक्ष शामिल है।
1 एकड़ जमीन में उगा रहे फल सब्जी
अगर इंसान में कुछ कर गुजरने की ख्वाहिश हो तो फिर वहां पीछे नहीं हटते है। ऐसे में एक मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के युवा कपल की कहानी है जिनके पास करोड़ों रुपए की आईटी सेक्टर में नौकरी थी, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने खेती-बाड़ी का रास्ता अपनाया है और आज अब डेढ़ एकड़ जमीन में फलदार पौधे के साथ ही सब्जियां दालें और अनाज उगा रहे हैं। आईआईटी गोल्ड मेडलिस्ट यह कपल पिछले 5 साल से बड़नगर में रह रहे हैं और यहां पर खेती कर अच्छा खासा मुनाफा भी कमा रहे हैं।
जानिए कैसे हुई मुलाकात
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि राजस्थान के जोधपुर के रहने वाले अर्पित महेश्वरी जिन्होंने आईआईटी मुंबई से कंप्यूटर इंजीनियर में ग्रेजुएशन किया था। इसके बाद प्री एग्जाम में ऑल इंडिया सेकंड रैंक मिली थी और मुंबई फिजिकल ओलंपियाड 2007 के दौरान साक्षी से मुलाकात हुई। इसमें दोनों को गोल्ड मेडल भी मिला। साक्षी ने आईआईटी दिल्ली से ग्रेजुएशन किया 2013 में दोनों की शादी हुई दोनों ने बेंगलुरु में जॉब की फिर अमेरिका चले गए। 2016 में वहां दक्षिण अमेरिका की यात्रा पर पहुंच गए। इसके बाद दोनों ने खूबसूरत जंगल और पहाड़ों को देखा। इस दौरान उन्हें जंगल नष्ट होते नजर आए। ऐसे में उन्होंने सोचा कि आने वाले समय में प्राकृतिक पूरी तरह से खतरे में आ जाएगी।
3 घंटे की जॉब करते है ये कपल
इसके बाद उनका दिमाग ठनक गया और उन्होंने करोड़ों रुपए की नौकरी को छोड़ कर प्राकृतिक से जुड़ने के लिए स्थाई खेती करने का फैसला कर लिया और उज्जैन जिले के बड़नगर कस्बे में डेढ़ एकड़ जमीन खरीद कर खेती शुरू कर दी ।अर्पित और साक्षी की माने तो उन्होंने पर्माकल्चर कॉन्सेप्ट में बायोडायवर्सिटी सिस्टम के मुताबिक खेती शुरू की है। इसके साथ ही डेढ़ एकड़ जमीन में उन्होंने 75 प्रकार के पौधे लगाए हैं।
जिनमें फलदार पौधे शामिल है इसके साथ ही 4 जंगली पौधे भी लगाए हैं। यह जमीन की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं। उनका कहना है कि 5 साल पहले तक कभी उन्होंने खेत में पांव तक नहीं रखा था। उन्होंने जैविक खेती में वॉलिंटियर का काम भी किया। बेंगलुरु जैसे बड़े शहर के जीवन को जोड़कर एक कस्बे में रहना हमारे लिए बिल्कुल नया था। इसके बाद 3 घंटे के ऑनलाइन जॉब करते उससे आर्थिक जरूरतें पूरी होती है और बाकी समय खेती में बिताते हैं।
दिल्ली-मुंबई के साथ विदेशों से आ रहे लोग
उनका कहना है कि अब उनके दोस्त विदेशों से भी आते हैं और उनके फल को चक्कर जाते हैं। इसके साथ ही आर्थिक खर्च निकालने के लिए वहां 3 घंटे की जॉब भी करते हैं। पर्माकल्चर नाम से एक सोच और तकनीक है जो आस्ट्रेलिया से विश्व भर में फैली हुई है। इसमें जमीन को एक ऐसे तरीके से विकसित किया जाता है कि निरंतर जमीन उपजाऊ बनी रहे कभी भी बंजर स्थिति में नहीं पहुंचती है। इसको देखने के लिए दिल्ली, मुंबई समेत विदेशों से भी लोग आ रहे हैं। वही इन कपल्स के द्वारा उठाए गए इस कदम की काफी सराहना की जा रही है।