होली से पहले MP के इन पुलिस कर्मियों को मिली बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए दिए ये निर्देश

मध्य प्रदेश में 2017-18 में 14 हजार 88 पदों पर पुलिस आरक्षकों की भर्ती की गई थी। इस मामले में एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश पुलिस को होली से पहले बड़ी राहत दी है। दरअसल कोर्ट ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त करते हुए फैसला पुलिस के पाले में सुनाया है। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के गृह मंत्रालय को आदेश देते हुए आरक्षक पद पर हुई भर्ती के लिए आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों की उनकी मनपसंद की पोस्टिंग दिए जाने के निर्देश दिए है।

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न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ऑरेंज का फैसला

दरअसल इसको लेकर कुछ दिनों पहले हाई कोर्ट में भी याचिका दायर की गई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने याचिका को निरस्त कर दिया था। इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा और सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश पुलिस को राहत देते हुए फैसला उनके पक्ष में सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट के जज न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ऑरेंज ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया। इसके साथ ही गृह मंत्रालय को आदेश जारी करते हुए उम्मीदवारों को उनकी मनपसंद की पोस्टिंग दिए जाने के निर्देश दिए है।

कुछ दिन पहले हाईकोर्ट ने याचिका की थी खारिज

गौरतलब है कि 2017-18 के बीच मध्यप्रदेश में 14 हजार 88 पदों पर पुलिस आरक्षकों की भर्ती की गई थी। जिसमें इन उम्मीदवारों को अनारक्षित में स्थान दे दिया गया। इसके साथ ही उन्हें बटालियन में पदस्थापना दी गई जबकि उन्हें जिला पुलिसबल या विशेष पुलिस बल की पदस्थापना मिलनी थी, लेकिन ऐसा नहीं होने पर उम्मीदवार काफी परेशान हो गए और उन्होंने कोर्ट की शरण ली। इसके बाद मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में याचिका को निरस्त कर दिया गया था इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और आखिरकार उन्हें वहां से न्याय मिला है।

याचिकाकर्ता प्रवीण कुमार कुर्मी की ओर से वकील रामेश्वर सिंह ठाकुर सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा था। जिस पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया और अनारक्षित वर्ग के मेरिट बेटा युवा उम्मीदवारों उनकी वार्ता से उच्च क्रम पर व्यवस्था कर पदस्थापना देने के निर्देश मध्य प्रदेश के गृह मंत्रालय को दिए है।

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