Indore River: सालाना डेढ़ करोड़ खर्च फिर भी दूषित है इंदौर की यह नदी, प्रशासन के लिए है बड़ा धब्बा!
Indore River: स्वच्छता में अब तक 6 बार अब्बल दर्जे पर आ चुका इंदौर शहर अपनी खूबियों के लिए देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में काफी ज्यादा पहचाना जाता है। बता दें कि इंदौर एक ऐसा शहर बन चुका है जहां पर नाइट कल्चर भी चालू कर दिए गए हैं। इतना ही नहीं आने वाले कुछ सालों में इंदौर शहर में मेट्रो भी चलती हुई नजर आने वाली है। तेजी से इंदौर शहर प्रगति की और अग्रसर होता हुआ नजर आ रहा है।
लेकिन अब भी कुछ चीजें ऐसी है जो कि जस के तस है तमाम प्रयासों के बाद भी इन्हें साफ सुथरा नहीं बनाया जा सका है। इनमें ही नाम आता है कान्हा नदी का गौरतलब है कि इंदौर से सटे कान्हा नदी हमेशा से ही अपने साफ-सफाई को लेकर चर्चाओं में रही है एक ताजा आंकड़ों की बात की जाए तो हर साल इस नदी को साफ सुथरा बनाए रखने के लिए प्रशासन द्वारा तकरीबन डेढ़ करोड़ पर खर्च किए गए हैं।
एनजीटी ने भी दिए आदेश
बता दें कि इसके बावजूद भी नदी की गाद हटने का नाम नहीं ले रही है, तमाम प्रयासों के बाद भी नदी को स्वच्छ नहीं बनाया जा सका है। कान्हा नदी इंदौर से सटे इलाके में है ऐसे में इसके आर्ट साइड बहुत सी कॉलोनियां भी बन चुकी है लेकिन कई लिंक और सीवरेज से मिलने के चलते इसमें बहुत ही गंदगी आ जाती है और ऐसे में यहां गंदगी धीरे-धीरे गाद में परिवर्तित हो जाती है। जिसे प्रशासन द्वारा कई बार हटाने की भी कोशिश की गई लेकिन यह साफ होने का नाम नहीं लेती।
इस विषय में मास्टर डिग्री करने वाली अर्शिया कुरैशी द्वारा जानकारी दी गई है कि जिस तरह से इंदौर में नदियों को साफ करने का कार्य किया जा रहा है या सिर्फ पैसों की बर्बादी है क्योंकि इस तरह से कभी भी नदियों को साफ नहीं किया जा सकेगा कान्हा नदी और साबरमती नदी का जीर्णोद्धार करने के लिए हर साल करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं। लेकिन उन्हें फिर भी साफ सुथरा और पुनर्जीवित नहीं किया जा पा रहा है।
गाद निकालने में खर्च की गई राशि के आंकड़ों की बात की जाए तो।
2018-19 – 1.05 करोड़
2019-20 – 77 लाख
2020-21 – 150 करोड़ (बजट में प्रावधान)
2021-22 – 3 करोड़ (बजट में प्रावधान)
2022-23 – 3 करोड़ (बजट में प्रावधान)