द्रौपदी मुर्मू को कॉलेज में हुआ प्यार, शादी के लिए मुश्किल से माने पिता, दहेज में मिले गाय-बैल, जानिए इनका संघर्ष

भारत को 21 जुलाई 2022 गुरुवार को नया राष्ट्रपति मिल जाएगा। बता दें कि इस बार जो भी राष्ट्रपति होगा वहां 15 में राष्ट्रपति के रूप में 25 जुलाई को शपथ ग्रहण करेगा। बता दें कि 18 जुलाई को राष्ट्रपति पद के लिए मतदान हुआ था और 21 जुलाई शाम तक परिणाम जारी हो जाएंगे। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार देश को आदिवासी महिला राष्ट्रपति के रूप में द्रौपदी मुर्मू मिलेंगी। बता दें कि भाजपा शासनकाल में केंद्रीय मंत्री रहे अब विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा इस कुर्सी पर बैठेंगे यह देखने वाली बात होगी।

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27 दलों का मिला मुर्मू को समर्थन

ऐसे में लगभग आंकड़ों को देखें तो 27 दलों का द्रौपदी मुर्मू को समर्थन मिला है, जबकि विपक्ष के यशवंत सिन्हा की बात करें तो उन्हें सिर्फ 14 सालों का समर्थन मिला था। ऐसे में डेढ़ लाख से अधिक वोटों से जीत दर्ज करने की मुर्मू की विशेषज्ञों ने अपनी राय रखी है। हालांकि यह तो परिणाम आने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा, लेकिन जिस तरह से आंकड़े सामने आए हैं उससे ऐसा माना जा रहा है कि देश का 15वां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ही होंगी। बताया जा रहा है कि वहां अभी तक परिणाम में मजबूत स्थिति में नजर आ रही है।

ऐसा रहा द्रौपदी मुर्मू के जीवन में संघर्ष

द्रौपदी मुर्मू एक गरीब आदिवासी परिवार में जन्मी है। पढ़ाई से लेकर पारिवारिक जीवन में उन्होंने काफी संघर्ष किया है। 5 साल के अंतराल में अपने दो बेटों और पति को खो चुकी है। द्रौपदी मुर्मू के चार बच्चे थे दो बेटे और दो बेटी 1984 में एक बेटी का निधन हो गया। 2009 और 2013 में एक-एक कर दोनों चल गए। 2014 में पति श्याम चरण मुर्मू का निधन हो गया, लेकिन फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। उनके संघर्ष की कहानी काफी इमोशनल करने वाली है। वहीं अगर उनके निजी जीवन से जुड़ी कहानी के बारे में बताएं तो काफी दिलचस्प है।

कॉलेज के वक्त श्याम चरण से हुआ प्रेम

दरअसल द्रौपदी मुर्मू 20 जून 1958 को उड़ीसा के मयूरभंज जिले के छोटे से गांव में जन्मी है। द्रौपदी मुर्मू संथाल आदिवासी समुदाय से आती है। उनके पिता का नाम बिरंचि नारायण टुडे था और वे एक किसान की बेटी है। द्रौपदी मुर्मू के शुरुआती शिक्षा गांव के स्कूल से हुई थी। 1970 से 1973 तक आदिवासी आवासीय विद्यालय में उन्होंने पढ़ाई की ।इसके बाद भुवनेश्वर के रामादेवी वूमंस कॉलेज में उन्होंने ग्रेजुएशन के लिए एडमिशन लिया और भुवनेश्वर जाकर पढ़ाई करने वाली गांव की पहली लड़की बन गई। कॉलेज में उनकी मुलाकात श्याम चरण मुर्मू नामक युवक से हो गई ।दोनों में दोस्ती हुई और कब प्यार में बदल गई किसी को कुछ पता नहीं चला ।एक कालेज में पढ़ाई कर रहे थे दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे और एक साथ जीवन बिताने का मन बना लिया।

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द्रौपदी मुर्मू को ​दहेज में मिला ये सब

इसके बाद द्रौपदी मुर्मू और श्याम चरण मुर्मू ने रजामंदी से पिता से मुलाकात करने की ठान ली। 1 दिन में शादी का प्रस्ताव लेकर उनके घर पहुंचे। श्याम के कुछ रिश्तेदार द्रौपदी के गांव में ही रहते थे तो उन्हें भी साथ ले गए, लेकिन तमाम कोशिशों के बाद द्रौपदी के पिता शादी करने से तैयार नहीं हुए। ऐसे में उन्होंने ठान लिया कि वे शादी केवल श्याम चरण से ही करेंगे। ऐसे में 3 दिनों तक गांव में डेरा जमाकर बैठ गए। आखिर का द्रौपदी के पिता बिरंचि नारायण ने शादी के लिए हां कर दी। इसके बाद उनके पिता ने द्रौपदी को दहेज में 1 गाय, एक बैल और 16 जोड़ी कपड़े जोड़े दहेज में दिए थे। हालांकि अब द्रौपदी मुर्मू देश की राष्ट्रपति बनने जा रही है।