Father’s Day Special: इस शख्स ने पिता बनकर 36 गरीब बच्चों का पाला, आज उनमें से कोई डॉक्टर तो कोई बन गया इंजीनियर
देशभर में 20 जून को फादर्स डे मनाया जा रहा है। एक पिता को समर्पित इस दिन को हर कोई एंजॉय करता है। ऐसे में हम आपको एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने पिता बनकर 36 बच्चों का जीवन संवारा है। दरअसल हम बात कर रहे हैं डॉक्टर दीक्षित की जो कि भोपाल के रहने वाले हैं। उन्होंने 2003 में 5 बच्चों को अपने घर में जगह दी यह से बच्चे थे जो पढ़ना चाहते थे, लेकिन इन्हें पढ़ाने वाला कोई नहीं था। इसके बाद इनका सहारा डॉक्टर दीक्षित बने और उन्होंने इन्हें पढ़ाया लिखाया इनके इस नेक काम की चारों ओर चर्चा होने लगी है।
36 बच्चों को पढ़ा लिखाकर बनाया काबिल
दरअसल डॉक्टर दीक्षित के इस नेक काम की काफी चर्चा हुई। इसके बाद उनसे कई बच्चे जुड़ गए ऐसे में उनकी संख्या 36 हो गई ।2006 में डॉक्टर दीक्षित की शादी हुई तब बच्चों को संभालने में इनकी मां जया दीक्षित व पत्नी अंजू ने भी पूरा सहयोग किया ।बच्चे उन्हें नानी मम्मी कहते थे। तीन मंजिला घर में बच्चों को मिलाकर 39 लोगों का परिवार हो गया। धीरे-धीरे बच्चे बड़े होते गए और घोंसले से उड़ गए। यानी कि बच्चे पढ़ने के साथ ही अपने जीवन को संवारने में चले गए।
जानिए अब कौन बच्चा क्या कर रहा
किसी ने बताया कि भोपाल में एक सर हैं जो गरीब बच्चों को रखते हैं तो एक परिचित मुझे यहां छोड़ गए। 12 साल की इस बच्ची को बिना किसी सवाल के घर में जगह दी। पाला, पोसा, पढ़ाया और लिखाया अच्छे संस्कार दिए। इसके बाद वहां बच्ची नर्स बनी है ।बता दें कि इन 36 बच्चों में से 14 बच्चे आज इंजीनियर बन चुके हैं। तीन ने एमबीए किया है। तीन लड़कियां नर्स है, एक डॉक्टर है, चार लड़कियों की शादी हो गई है। 11 बच्चों ने वोकेशनल कोर्स किया और नौकरी व व्यवसाय कर रहे हैं और यह बच्चे आज विभिन्न शहरों में रह रहे हैं। इनका एक व्हाट्सएप ग्रुप भी है जिसमें सभी जुड़े हुए हैं और छोटी बड़ी बात उसमें साझा करते हैं। 2 साल पहले ही डॉक्टर दीक्षित की माता जी का देहांत हो गया सभी बच्चे तेरा दिन घर आकर रहे।
36 बच्चों में से आखरी बच्चे ने 2022 में इस घर को छोड़ा परिवार में डॉक्टर दीक्षित के साथ उनकी पत्नी व उनके दो बच्चे हैं। उन्होंने गरीब बच्चों के लिए अभी भी अपना काम जारी रखा है। गोविंदपुरा में उन्होंने इंग्लिश मीडियम स्कूल पाथ फाइंडर खोला है जो पूरी तरह निशुल्क है इसमें करीब 250 बच्चे पढ़ते हैं।