इंदौर के आईआईटी पास दीपक ने ठुकराया जॉब ऑफर, अब मधुमक्खी पालन से कमा रहे लाखों रहे रुपये, जानें इनका संषर्घ

अगर इंसान में काबिलियत और किसी काम को करने का जज्बा हो तो फिर वहां पीछे मुड़कर नहीं देखता है ।आपको एमबीए चाय वाले की कहानी तो पता होगी जिन्होंने एक छोटी सी टापरी में चाय का बिजनेस शुरू किया था और आज उसी से उनका लाखों का टर्नओवर है। इसी बीच हम आपको इंदौर के पास ही बड़वाह के रहने वाले दीपक बघेल की कहानी बता रहे हैं जोकि 6 साल पहले मुंबई से आईआईटी बी टेक कर चुके हैं, लेकिन आज वहां शहद का व्यापार कर रहे हैं। दरअसल आईआईटी और बीटेक करने के बाद दीपक को मल्टीनेशनल कंपनी से जॉब का ऑफर ​भी मिला था, लेकिन उन्होंने जॉब को ठुकरा दिया और खुद का ऑर्गेनिक स्टार्टअप शुरू किया है।

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5 सालों में 50 लाख तक पहुंचा टर्नओवर

दीपक ने अपनी दोस्त नेहा के साथ शहद बनाने का काम शुरू किया जिसका नाम माइलो हनी रखा है। करीब 5 सालों से दीपक और नेहा शहद बनाने का काम कर रहे हैं ।आज उनका टर्नओवर 50 लाख तक पहुंच गया है। उनकी कंपनी के द्वारा आज उनके प्रोडक्ट की सप्लाई ऑनलाइन एप्स अमेजॉन के साथ ही पैन इंडिया में की जा रही है साथ ही एग्रीकल्चर हॉर्टिकल्चर और वन विभाग भी इसमें सेवाएं दे रही है।

650 रुपये प्रति किलो में बिक रहा शहद

मीडिया को जानकारी देते हुए दीपक ने कहा कि उन्होंने इस बिजनेस को शुरू करने से पहले ऑर्गेनिक खेती भी की है। इसके साथ ही वहां किसानों को ऑर्गेनिक खेती करने के लिए जागरूक कर रहे हैं। इस खेती के करने से मिट्टी भी सुरक्षित रहेगी इसके साथ ही मधुमक्खियों को भी शहद बनाने में पर्याप्त स्कूल मिल सकेंगे और इससे किसानों को फायदा होने के साथ ही बिजनेस का टर्नओवर भी बढ़ेगा ।

इसके साथ ही दीपक की पाटनर नेहा रॉय ने जानकारी दी है कि पूरे नार्थ इंडिया में उनकी कंपनी काम कर रही है। इस कंपनी के द्वारा अलग अलग स्वाद का शहद तैयार किया जा रहा है । वहीं जिस जगह पर अनार की खेती हो रही है वहां पर अनार के स्वाद वाले शहद को तैयार किया जा रहा है। वहीं कंपनी कंसलटेंसी और शहद खरीदने का काम कर रही है। बाजार में इस शहद की कीमत 650 प्रति किलो है।

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हॉर्टिकल्चर विभाग दे रहा एक बॉक्स पर इतनी सब्सिडी

बता दें कि मधुमक्खियों के पालन से किसानों को भी काफी फायदा हो रहा है। इन मधुमक्खियों को किसानों के खेत में छोड़ दिया जाता है जहां पर 20% से 40% तक पैदावार बढ़ जाती है। वहीं हॉर्टिकल्चर विभाग मध्यप्रदेश एक बॉक्स पर 1600 की सब्सिडी भी दे रहा है। उनका कहना है कि इटालियन मधुमक्खी का पालन किया जा रहा है जिनकी उम्र 60 दिन की होती है। यहां मधुमक्खियां अंधेरे में रहना पसंद करती है। इसलिए उन मधुमक्खियों को बॉक्स में रखा जाता है। यह मधुमक्खियां फूलों से परागकण निकाल कर बक्से में ले जाती है और वहां पर बारीक जाली में इकट्ठा करती है। वहीं जब शहद ज्यादा इकट्ठा हो जाता है तब जालीदार मास्कर पहनकर उस शहर को बॉक्स से निकाला जाता है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मधुमक्खियां हरफूल से शहद नहीं निकालती है। एक बॉक्स में करीबन 30 से 50 हजार मधुमक्खियां रहती है। इन मधुमक्खियों को कंपनी अलग-अलग महीनों में अलग-अलग स्थानों पर ले जाती है, जहां सही मौसम रहता है वहां पर मधुमक्खियां शहद बनाती है अब इससे दीपक और नेहा अक्षर टर्नओवर कमा रहे हैं।